K. Durga Rao
कांड्रा : सरायकेला स्थित हरिश्चंद्र विद्या मंदिर की पूर्व छात्रों द्वारा मिलन समारोह का आयोजन किया गया। मिलन समारोह में हजारों की संख्या में पूर्व छात्र इसमें शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर क्षेत्र के सांसद और विधायक भी शामिल हुए।
शनिवार को हरिश्चंद्र विद्या मंदिर में शांति पूजन एवं पूर्व छात्रों के मिलन समारोह का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर, विद्यालय के पूर्व छात्रों ने भाग लिया और अपने पुराने दिनों को याद किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पश्चिम सिंहभूम सांसद जोबा माझी ने शिरकत की और विद्यालय के विकास और छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि शासन-प्रशासन की ओर से जो भी जरूरी सहायता होगी प्रबंधन को मुहैया कराया जाएगा।
कार्यक्रम की शुरुआत पूजा अर्चना कर की गई। मौके पर हरिश्चंद्र विद्या मंदिर के संस्थापक स्व. हरिश्चंद्र वार्ष्णेय, स्व. प्रेमचंद वार्ष्णेय और स्व. सुभाष चंद्र वार्ष्णेय की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई।
वार्ष्णेय परिवार द्वारा विद्यालय को पुनः संचालित करने की घोषणा से क्षेत्र में खुशी
लंबे अंतराल के बाद हरिश्चंद्र विद्या मंदिर स्कूल पुनः वार्ष्णेय परिवार द्वारा संचालित होने की घोषणा से कांड्रा आसपास क्षेत्र के लोग काफी खुशी महसूस कर रहे हैं। क्योंकि ऐसे कई छात्र है जिनके परिवार जमशेदपुर के स्कूलों में दाखिला कराने में असमर्थ महसूस करते हैं। उनका कहना है कि ऐसे छात्रों को उच्चतम कोटि की शिक्षा सिर्फ और सिर्फ हरिचंद विद्या मंदिर में ही संभव है।
बता दें कि हरिश्चंद्र विद्या मंदिर की स्थापना 1945 में सरायकेला ग्लास वर्क्स कंपनी के निर्देशक स्व. हरिशचंद्र वार्ष्णेय के द्वारा की गई थी। यह विद्यालय 80 साल से अधिक समय से क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। विद्यालय की स्थापना के समय से ही, इसने क्षेत्र में एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान के रूप में उभरा। विद्यालय ने अपने छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया।
इसके बाद 1960 से 1990 के दशक में, हरिश्चंद्र विद्या मंदिर ने अपने विकास और विस्तार के लिए कई कदम उठाए। विद्यालय ने अपनी सुविधाओं को बढ़ाया, नए विषयों को जोड़ा और अपने छात्रों को विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के अवसर प्रदान किए। हालांकि, 1990 के दशक में, एसकेजी कंपनी के बंद होने के बाद, विद्यालय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। विद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों ने विद्यालय को चलाने के लिए कड़ी मेहनत की और विद्यालय को बचाए रखने के लिए संघर्ष किया।
2000 के दशक में, स्वर्गीय हरिश्चंद्र के पोते प्रदीप वार्ष्णेय और राजकुमार वार्ष्णेय ने विद्यालय का संचालन अपने हाथ में लिया और विद्यालय को पुनर्जीवित करने के लिए कई कदम उठाए। विद्यालय ने अपनी सुविधाओं को आधुनिक बना रहा है और नए विषयों को जोड़ा जा रहा है।
इसका परिणाम है कि आज, हरिश्चंद्र विद्या मंदिर एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान के रूप में जाना जाता है जो अपने छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करता है। विद्यालय के विद्यार्थी सरकारी और निजी क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यरत हैं।
कार्यक्रम में ईचागढ़ की विधायक सविता महतो भी शामिल थीं। उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए और विद्यालय के विकास के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। इसके अलावा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष सह पूर्व छात्र डॉ शुवेन्दु महतो, पूर्व जिला परिषद सदस्य सुधीर चंद्र महतो, आधुनिक कंपनी के विस्थापित प्रभावित समिति के अध्यक्ष कृष्णा बास्के, शिक्षक तरुण कुमार सिंह, पूर्व प्रधानाध्यापक स्व. फतेह नारायण सक्सेना के पुत्र राजीव चित्रे, कांड्रा पंचायत की मुखिया शंकरी देवी, पूर्व मुखिया होनी सिंह मुंडा, सरायकेला खरसावां प्रेस क्लब के अध्यक्ष मनमोहन सिंह राजपूत, संतोष कुमार, कांड्रा थाना प्रभारी विनोद मुर्मू, सोखेन हेंब्रम, अजीत गोराई, राम महतो, गौतम महतो, कल्याण सेन, संजय महतो भी उपस्थित थे।






