Festival : सौ साल बाद इस बार दिन भर बंधेगी राखी, भद्रा का साया नहीं

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जमशेदपुर : 100 साल बाद इस बार भद्रा रहित निर्विघ्न राखी 9 अगस्त को मनाई जाएगी. इसके चलते पूरे दिन बहन,भाई की कलाई पर रेशम की डोर बांध सकेगी.भ्रदा में राखी बांधना और होलिका दहन निषेध बताया गया है.भाई-बहन के स्नेह के पर्व पर दुर्लभ नवपंचम योग भी रहेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग भी दोपहर 2.24 बजे तक रहेगा.साथ इस दिन सूर्य व बुध कर्क, चंद्र मकर, मंगल कन्या, गुरु एवं शुक्र मिथुन, राहु कुंभ व केतु सिंह राशि में रहेगा.

दुर्लभ महासंयोग में मनेगा रक्षाबंधन

  • रक्षा बंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को भद्रा रहित तीन मुहूर्त या उससे अधिक व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को अपरान्ह व व प्रदोष काल में मनाया जाता है.
  • पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2.12 बजे से 9 अगस्त को दोपहर 1.24 बजे तक रहेगी.
  • भद्रा भी पूर्णिमा के साथ 8 अगस्त को शुरू होकर रात 1.49 बजे तक रहेगी.
  • सूर्योदय से पहले भद्रा के समाप्त होने से पर्व इस बार निर्विघ्न रूप से मनाया जाएगा.
  • 9 अगस्त को श्रवण नक्षत्र और चंद्रमा मकर राशि में रहेगा.
  • इसके स्वामी शनि है और इस दिन शनिवार है.
  • शास्त्रों के अनुसार श्रवण नक्षत्र के अधिपति विष्णु एवं सौभाग्य योग के अधिपति ब्रह्मा हैं.
  • इसके चलते यह पर्व सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा एवं जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साक्षी में मनेगा.

चौघडिय़ा के अनुसार राखी बांधने का समय

  • शुभ : सुबह 07.39 से 09.16 बजे तक.
  • चर : दोपहर 12.29 से 02.06 बजे तक.
  • लाभ : दोपहर 2.07 से 03.43 एवं शाम 6.56 से 8.20 बजे तक
  • अमृत : दोपहर 3.44 से शाम 05.20 बजे तक.

रक्षाबंधन में गजलक्ष्मी समसप्तक योग
इस रक्षाबंधन पर कुछ शुभ योग एक साथ बन रहे हैं.नवग्रहों में राजकुमार माने जाने वाले बुध ग्रह रक्षाबंधन के दौरान उदय होंगे. वहीं मिथुन राशि में स्थित बृहस्पति और शुक्र का गजलक्ष्मी योग एक साथ बन रहा है. मीन राशि में शनि और कन्या राशि में मंगल का समसप्तक योग एक साथ बन रहा है. कहा जा रहा है कि इस ग्रह स्थिति से 10 राशियों को सर्वोत्तम सकारात्मक और सुखद लाभ मिल सकता है.

5,000 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है राखी इंडस्ट्री का बाजार

आज रक्षाबंधन सिर्फ भावनाओं का त्योहार नहीं रह गया है, यह एक विशाल बाजार बन चुका है. राखियों की डिजाइनिंग, मिठाइयों के गिफ्ट बॉक्स, ऑनलाइन डिलीवरी, ब्रांडेड उपहार इन सब मिलाकर रक्षाबंधन के आसपास का व्यापार 5,000 करोड़ से भी अधिक का हो जाता है. ये त्योहार अब एक बड़ा बिजनेस ट्रेंड भी बन चुका है.

भादो में जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज समेत कई बड़े त्योहार

सावन महीने के बाद भाद्रपद माह शुरू होता है जिसे आम बोलचाल की भाषा में भादो या भादवाव महीना कहते हैं. ये हिंदी कैलेंडर का छठा महीना होता है और व्रत-त्योहार के लिहाज से इसक विशेष महत्व माना गया है. भाद्रपद माह में कई ऐसे व्रत-त्योहार आते हैं जिनका हम सालभर इंतजार करते हैं. इस साल भाद्रपद माह 10 अगस्त 2025 को शुरू होगा और 7 सितंबर 2025 को समाप्त होगा.

भाद्रपद माह के व्रत त्योहार

  • 12 अगस्त – कजरी तीज, बहुला चौथ, संकष्टी चतुर्थी
  • 16 अगस्त -जन्माष्टमी
  • 19 अगस्त – अजा एकादशी
  • 21 अगस्त – पर्यूषण पर्व शुरू
  • 23 अगस्त – भाद्रपद अमावस्या, पोला
  • 25 अगस्त – वराह जयंती
  • 26 अगस्त – हरतालिका तीज
  • 27 अगस्त – गणेश चतुर्थी
  • 28 अगस्त – ऋषि पंचमी
  • 31 अगस्त – राधा अष्टमी
  • 3 सितंबर – परिवर्तिनी एकादशी
  • 4 सितंबर – वामन जयंती
  • 5 सितंबर – ओणम
  • 6 सितंबर – गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी
  • 7 सितंबर – भाद्रपद पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण

महज धागा नहीं है राखी, कई रोचक पहलू भी हैं इसके

रक्षाबंधन का नाम सुनते ही भाई-बहन के प्यार की वो डोर याद आती है, जो ना सिर्फ भावनाओं से जुड़ी होती है, बल्कि इतिहास, परंपरा और विज्ञान तक इसकी जड़ें फैली हुई हैं. राखी सिर्फ एक रंगीन धागा नहीं है .यह समर्पण, सुरक्षा और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है. हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व सिर्फ एक परंपरा भर नहीं, बल्कि अनगिनत कहानियों का संवाहक है, जिनमें छुपे हैं कुछ ऐसे रहस्य और किस्से, जो आज भी बहुत से लोगों को नहीं मालूम.

द्रौपदी और श्रीकृष्ण 

महाभारत में वर्णित एक कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तब उनकी अंगुली से रक्त बहने लगा. द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का किनारा फाडक़र उनकी अंगुली पर बांध दिया. यह घटना श्रावण पूर्णिमा की थी. कहते हैं, यही वो रक्षासूत्र था जिसकी कीमत श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय चुकाई जब उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई.

यम और यमुना

प्राचीन कथा के अनुसार, यमराज और यमुना के बीच गहरा प्रेम था, लेकिन समय की व्यस्तता के चलते वे मिल नहीं पाते थे. एक दिन यमुना ने उपवास रखा और यमराज के आने पर उन्हें रक्षासूत्र बांधा. बदले में यमराज ने वचन दिया कि जो भी बहन अपने भाई को राखी बांधेगी, वह उसकी रक्षा का संकल्प लेगा. तभी से यह परंपरा शुरू हुई.

रानी कर्णावती और हुमायूं

मुगलकाल की एक प्रसिद्ध घटना के अनुसार, मेवाड़ की रानी कर्णावती ने जब बहादुर शाह के आक्रमण से खुद को असहाय महसूस किया, तब उन्होंने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी. हुमायूं ने इस धागे की मर्यादा रखते हुए न सिर्फ उनकी रक्षा की, बल्कि राखी के मान को एक नया आयाम दिया.

पेड़-पौधों से लेकर सैनिकों तक को बांधी जाती है राखी

भारत के कई क्षेत्रों में महिलाएं पेड़, देवता, ब्राह्मण और सैनिकों को भी राखी बांधती हैं. यह परंपरा सुरक्षा और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में निभाई जाती है. खासतौर से वृक्षों को राखी बांधने की परंपरा पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी एक सुंदर पहल है.

सीमाओं के पार भी गूंजता है रक्षाबंधन का जादू

रक्षाबंधन सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. नेपाल, फिजी, मॉरीशस जैसे देशों में बसे भारतीय समुदाय इस त्योहार को उतनी ही श्रद्धा और उल्लास से मनाते हैं. यह पर्व अब एक ग्लोबल कल्चरल आइडेंटिटी का रूप ले चुका है.

राखी में छिपा है विज्ञान

पारंपरिक राखियों में चंदन, केसर, हल्दी जैसे तत्वों का प्रयोग होता था, जिनमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. इस वजह से राखी पहनने वाले की कलाई ना सिर्फ सुरक्षित रहती थी, बल्कि यह एक तरह का आयुर्वेदिक स्पर्श भी माना जाता था.

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