जमशेदपुर: दुर्गा पूजा जैसे प्रमुख त्योहारों में भव्य पंडाल और आकर्षक मूर्तियों की सजावट के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास और खर्च किए जाते हैं, लेकिन इस दौरान महिलाओं की मूलभूत स्वच्छता और आराम की आवश्यकताओं पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता। हजारों श्रद्धालु और दर्शक पंडालों में घुमते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए अलग से सुरक्षित और सुविधाजनक शौचालय या विश्राम स्थल का अभाव अक्सर उन्हें असुविधा और तनाव का सामना कराता है।
महिलाओं के लिए यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब पंडाल के आस-पास भारी भीड़, लाइटिंग और सुरक्षा व्यवस्था के कारण उन्हें शौचालय जाने का उचित समय या स्थान नहीं मिल पाता। पुरुषों के लिए व्यवस्थाएँ अपेक्षाकृत सहज होती हैं, जबकि महिलाएं इस दौरान कई बार इंतजार करने या असुविधाजनक परिस्थितियों में शौचालय जाने के लिए मजबूर होती हैं। यह न केवल उनकी सुविधा का सवाल है बल्कि सुरक्षा और सम्मान का भी है।
समाज के कई हिस्सों से यह सुझाव उठ रहे हैं कि त्योहारों में महिलाओं की स्वच्छता और आराम के लिए विशेष प्रबंध किए जाएँ। दुर्गा पूजा कमिटी और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि पंडाल के डिजाइन और व्यवस्था में महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग शौचालय, आराम स्थल और स्पष्ट मार्ग सुनिश्चित किए जाएँ। इससे महिलाओं को त्योहार का आनंद लेने में कोई बाधा नहीं आएगी और भीड़ प्रबंधन भी आसान होगा।
यह केवल सुविधा का प्रश्न नहीं है, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता और समानता का मामला भी है। यदि महिलाओं को त्योहारों के दौरान सुरक्षित और सहज स्थान उपलब्ध कराए जाएँ, तो यह उनके अनुभव को सकारात्मक बनाएगा और समग्र सामाजिक परिदृश्य में सुधार लाएगा। प्रशासन और पंडाल कमिटी से यह अपेक्षा की जा रही है कि आने वाले त्योहारों में इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएँ।





