UNCTAD रिपोर्ट: भारत ने ट्रंप के टैरिफ का मुकाबला कर वैश्विक व्यापार में बढ़ाया महत्व।

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वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती अहमियत, अमेरिकी टैरिफ नीतियों के बावजूद विकासशील देशों का योगदान मुख्य कारण।

नई दिल्ली: वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका लगातार मजबूत होती जा रही है, और हालिया अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने इसे फिर से साबित किया है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की व्यापार नीतियों में बदलाव और डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के बावजूद वैश्विक व्यापार में कोई बड़ा उथल-पुथल नहीं हुआ। रिपोर्ट यह संकेत देती है कि विकासशील देशों, खासकर भारत, ने वैश्विक व्यापार में अपना महत्व और बढ़ाया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में भारत की अमेरिका पर व्यापारिक निर्भरता में 0.6% की वृद्धि हुई है। वहीं, रूस की भारत पर निर्भरता में भी 0.7% का इजाफा हुआ। इससे वैश्विक व्यापार में भारत के बढ़ते महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। UNCTAD ने हालांकि चेतावनी दी है कि अमेरिका की नीतियों में अनिश्चितता अभी भी बड़ा जोखिम बनी हुई है।

वैश्विक व्यापार में मजबूती और बढ़ोतरी
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछली चार तिमाहियों में वैश्विक व्यापार में ठोस बढ़ोतरी दर्ज की गई। वस्तुओं के व्यापार में लगभग 5% और सेवाओं के व्यापार में 6% की वृद्धि हुई। 2025 की पहली छमाही में विकासशील देशों के मजबूत योगदान से वैश्विक व्यापार में करीब 500 अरब डॉलर का विस्तार हुआ, जबकि व्यापार में अस्थिरता, नीतियों में बदलाव और भू-राजनीतिक तनाव जारी थे।

2025 की दूसरी तिमाही में पलटा गेम
UNCTAD का अनुमान है कि 2025 के आखिरी महीनों में कोई बड़ी नकारात्मक घटना न होने पर वैश्विक व्यापार अपने 2024 के रिकॉर्ड स्तर को पार कर जाएगा। हाल की तिमाहियों में वस्तुओं के व्यापार में वैश्विक असंतुलन बढ़ा था, लेकिन 2025 की दूसरी तिमाही में यह स्थिति पलट गई। इसका मुख्य कारण अमेरिका की व्यापार नीतियों में बदलाव और विकासशील देशों का स्थिर योगदान रहा।

वैश्विक व्यापार को मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर चलाता है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स का दबदबा है। ऑटोमोटिव सेक्टर में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है। UNCTAD का मानना है कि यह रफ्तार तीसरी तिमाही में भी जारी रहेगी। वस्तुओं के व्यापार में तिमाही-दर-तिमाही लगभग 2.5% और सेवाओं में 4% की वृद्धि की उम्मीद जताई गई है।

निगेटिव और पॉजिटिव फैक्टर
हालांकि वैश्विक व्यापार की राह में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। इनमें अमेरिका की नीतियों में लगातार अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव, चल रहे संघर्ष और अतिरिक्त उत्पादन यानी ओवरकैपेसिटी के जवाब में नए प्रतिबंध शामिल हैं।

दूसरी ओर, सकारात्मक कारक भी हैं जो वैश्विक व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं। इनमें मजबूत आर्थिक वृद्धि, मौद्रिक सहायता, सीमित नकारात्मक नीति प्रभाव, सेवाओं के व्यापार में वृद्धि, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की लचीलापन और व्यापार सहयोग के बढ़ते अवसर शामिल हैं।

UNCTAD ने अंत में कहा कि चार तिमाहियों के आधार पर वैश्विक व्यापार में ग्रोथ मजबूत बनी हुई है। वस्तुओं के व्यापार में लगभग 5% और सेवाओं में 6% की वृद्धि दर्ज की गई है। 2025 के अंत तक प्रमुख नकारात्मक झटकों को छोड़कर वैश्विक व्यापार का मूल्य 2024 के रिकॉर्ड स्तर को पार कर जाएगा।

भारत वैश्विक व्यापार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरा है। ट्रंप की टैरिफ नीतियों का दांव भले ही चर्चा में रहा हो, लेकिन विकासशील देशों के योगदान ने वैश्विक व्यापार की दिशा तय की है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका और बढ़ती जा रही है।

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