बात करना हम सब जानते हैं, लेकिन स्पष्ट बोलना, यह हर किसी के बस की बात नहीं। कितनी बार ऐसा हुआ है कि हम कुछ कहना चाहते हैं, पर शब्द गले में अटक जाते हैं या उतनी साफ़ आवाज़ में नहीं निकलते जितनी हम सोचते हैं। आज की दुनिया में जहाँ एक शब्द भी पहचान बना सकता है, वहाँ बोलने की स्पष्टता सिर्फ़ एक गुण नहीं बल्कि एक कला है। इसी कला को निखारने का एक दिलचस्प और बेहद असरदार तरीका है, पेन या पेंसिल से बोलने का अभ्यास।
पहली नज़र में यह सुनने में अजीब लग सकता है कि एक पेन या पेंसिल हमारी आवाज़ को कैसे बदल सकता है, लेकिन यही सच्चाई है। जब मैंने पहली बार इस तकनीक के बारे में सुना, तो यक़ीन नहीं हुआ। पर जब खुद इसे आज़माया, तो महसूस हुआ कि इसका असर कितना गहरा है। यह कोई जादू नहीं, बल्कि एक सटीक स्पीच ट्रेनिंग एक्सरसाइज़ है, जिसे कई अभिनेता, वक्ता और मीडिया प्रोफेशनल अपनाते हैं।
इसका तरीका बहुत सरल है आप एक पेन या पेंसिल को अपने दाँतों के बीच हल्के से पकड़िए और फिर किसी पैराग्राफ या लेख को ज़ोर से पढ़िए। शुरुआत में शब्द लड़खड़ाएँगे, आवाज़ अजीब लगेगी, और शायद आप खुद पर हँस भी पड़ें। लेकिन कुछ ही मिनटों बाद महसूस होगा कि आपकी जीभ, होंठ और मुँह की मांसपेशियाँ पहले से ज़्यादा सक्रिय हो रही हैं। आप हर शब्द को बोलने की कोशिश में ज़्यादा सजग हो जाते हैं, और यही सजगता आगे चलकर आपकी वाणी में वह साफ़गोई लाती है जो हर श्रोता को आकर्षित करती है।
जब पेन हटा देते हैं और वही वाक्य दोबारा बोलते हैं, तो आपको एहसास होगा कि अब आपकी आवाज़ ज़्यादा खुली है, शब्दों में दम है, और बोलने का लय कुछ बदला-बदला है बेहतर हुआ है। यह वही पल होता है जब आप समझ जाते हैं कि स्पष्ट बोलना सीखा जा सकता है।
इस अभ्यास की सबसे ख़ूबसूरत बात यह है कि इसमें किसी मंच, माइक्रोफ़ोन या दर्शक की ज़रूरत नहीं। बस आप और आपका प्रयास। दिन में पाँच मिनट भी अगर इस तकनीक को दें, तो एक हफ़्ते में फर्क महसूस होने लगता है। कई लोग जिन्हें अपनी आवाज़ पर भरोसा नहीं होता, वही कुछ दिनों बाद आत्मविश्वास से भर जाते हैं।
हम अक्सर सोचते हैं कि बोलने की ताक़त सिर्फ़ शब्दों में होती है, पर सच्चाई यह है कि ताक़त उच्चारण की स्पष्टता में होती है। वही स्पष्टता, जो किसी विचार को प्रभाव में बदल देती है। मैंने जब इस अभ्यास को अपनाया, तो महसूस किया कि अब मैं सिर्फ़ बोल नहीं रहा, बल्कि अपनी बात पहुँचा रहा हूँ और यह फर्क बहुत बड़ा होता है। शब्द तभी असर करते हैं जब वे सुनाई भी साफ़ दें। शायद इसलिए, एक साधारण-सा पेन या पेंसिल हमें सिर्फ़ लिखने के लिए नहीं, बल्कि स्पष्ट बोलने की कला सिखाने के लिए भी बनाया गया है।





