क्या झारखंड की राजनीति में बड़ा मोड़ आएगा? हेमंत सोरेन BJP संग नया समीकरण बिठाने की तैयारी में?

झारखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर संभव। हेमंत सोरेन के दिल्ली दौरे और BJP नेताओं से बढ़ती नजदीकियों ने नए गठबंधन की चर्चा तेज कर दी है।

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जेएमएम-भाजपा गठबंधन की अटकलों ने रांची से दिल्ली तक बढ़ाई हलचल, कांग्रेस-राजद संग रिश्तों में बढ़ी दूरियां

झारखंड की राजनीति इस समय तापमान पर है। रांची से दिल्ली तक एक ही सवाल घूम रहा है कि क्या हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) भाजपा संग हाथ मिलाने जा रही है? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पत्नी कल्पना सोरेन के साथ अचानक दिल्ली दौरा और उसी दौरान झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार की अमित शाह से मुलाकात ने अटकलों को और बढ़ा दिया है। सियासत में टाइमिंग को बहुत अहम माना जाता है और इसी वजह से माना जा रहा है कि झारखंड में किसी बड़े बदलाव की तैयारी हो रही है।

झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार की अमित शाह से मुलाकात

बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद झारखंड में राजनैतिक समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं। महागठबंधन को मिली हार के बाद इंडिया गठबंधन में तनातनी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि जेएमएम के रिश्ते कांग्रेस और राजद से पहले जैसे नहीं रहे। ऐसे में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि JMM भाजपा के साथ नए सत्ता समीकरण की ओर झुकाव दिखा सकती है। हालांकि JMM ने इस तरह की बातों से इनकार किया है, लेकिन राजनीतिक तस्वीर अभी भी पूरी तरह साफ नहीं है।

अगर झारखंड विधानसभा के नंबरों को देखा जाए तो स्थिति बेहद दिलचस्प बनती है। कुल 81 सीटों वाले सदन में बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन चाहिए। फिलहाल सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 56 विधायक हैं, लेकिन JMM और भाजपा सहित एलजेपीआर, एजेएसयू और जेडीयू मिलकर कुल आंकड़ा 58 तक पहुंच सकता है। यह संख्या न केवल बहुमत से अधिक होगी, बल्कि वर्तमान गठबंधन से भी आगे निकल जाएगी। यही वजह है कि राजनीतिक गलियारों में बदलाव की सुगबुगाहट और तेज हो गई है। कई मौकों पर हेमंत सोरेन और कांग्रेस-राजद के मंत्रियों के बीच संवादहीनता देखने को मिली है। कई सरकारी कार्यक्रमों में एक-दूसरे की गैरमौजूदगी ने भी इस खटास को जगजाहिर कर दिया। साथ ही हेमंत सोरेन पर चल रही ईडी जांच और जेल से जमानत पर होने के कारण भी माना जा रहा है कि वे किसी नए राजनीतिक सहारे की तलाश में हो सकते हैं। यह सारी परिस्थितियाँ बताती हैं कि झारखंड की राजनीति में “खेला” किसी भी वक्त हो सकता है और आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिल सकता है।

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