इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त आदेश: धर्म बदलने के बाद SC का लाभ लेना ‘संविधान से धोखाधड़ी’

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धर्म बदला तो SC स्टेटस नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, पूरे यूपी प्रशासन को 4 महीने का अल्टीमेटम
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तर प्रदेश सरकार और उसकी प्रशासनिक मशीनरी को आदेश दिया है कि राज्य में जिन लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया है, वे अनुसूचित जाति (SC) श्रेणी के आरक्षण या किसी भी लाभ का उपयोग न कर सकें। कोर्ट ने इसे “संविधान के साथ धोखाधड़ी” करार देते हुए सभी जिलाधिकारियों को चार महीने की डेडलाइन में ऐसे मामलों की पहचान कर कार्रवाई करने को कहा है।
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी ने जितेंद्र साहनी की याचिका खारिज करते हुए दिया। साहनी पर हिंदू धार्मिक मान्यताओं का मजाक उड़ाने और सामाजिक दुश्मनी फैलाने के आरोप हैं।
क्यों दिया गया यह आदेश?
जितेंद्र साहनी ने IPC की धारा 153-A और 295-A के तहत जारी चार्जशीट रद्द करने की मांग की थी। उनका दावा था कि वे सिर्फ़ अपनी जमीन पर “यीशु मसीह के वचनों” के प्रचार की अनुमति मांग रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें झूठा फंसाया।
हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि साहनी केवट जाति से आने के बाद ईसाई धर्म अपना चुके हैं।
वे एक पादरी के तौर पर कार्य कर रहे थे।
और उन पर आरोप है कि वह लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराते थे।
गवाहों ने आरोप लगाया कि साहनी ने गांव में लोगों को इकट्ठा कर हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया और कहा कि ईसाई धर्म अपनाने से नौकरियां, बिजनेस और मिशनरी का आर्थिक लाभ मिलेगा।
SC स्टेटस धर्मांतरण के बाद नहीं-कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का दिया हवाला
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि –
कॉन्स्टिट्यूशन (SC) ऑर्डर 1950 के अनुसार,
जो व्यक्ति हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म से हटकर किसी अन्य धर्म को अपनाता है, वह अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं रह सकता।
कोर्ट ने दो प्रमुख फैसलों पर भरोसा जताया :
SC का सेल्वरानी केस (2024) – धर्म परिवर्तन के बाद मूल जाति स्टेटस खत्म।
AP हाईकोर्ट का अक्कला रामी रेड्डी केस (2025) – ईसाई धर्म अपनाने वाले SC/ST (Atrocities) Act का लाभ नहीं ले सकते।
यूपी प्रशासन के लिए हाईकोर्ट के कड़े निर्देश
जस्टिस गिरी ने इस आदेश को “कानून को सही मायनों में लागू करने” का प्रयास बताया और बड़े स्तर पर कार्रवाई के निर्देश जारी किए-
4 महीने में कार्रवाई पूरी करने का आदेश
राज्य के सभी जिलाधिकारियों को अपने जिले में ऐसे मामलों की जांच कर रिपोर्ट सौंपनी होगी।
कैबिनेट सेक्रेटरी (भारत सरकार) और चीफ सेक्रेटरी (UP), दोनों को पूरे मामले की निगरानी और कानून लागू करने का दायित्व दिया गया।
माइनॉरिटी वेलफेयर विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को यह सुनिश्चित करना होगा कि माइनॉरिटी स्टेटस बनाम SC स्टेटस- इन दोनों में स्पष्ट अंतर लागू रहे।
साहनी के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए DM को 3 महीने में धर्म की जांच का आदेश दिया गया।
हाईकोर्ट ने पाया कि साहनी ने कोर्ट में गुमराह करने वाला हलफनामा दिया, जहां उन्होंने खुद को हिंदू बताया, जबकि पुलिस जांच में वे ईसाई पादरी पाए गए।
कोर्ट ने महाराजगंज के DM को 3 महीने में उनकी धार्मिक स्थिति की जांच करने और अगर जालसाजी साबित होती है तो सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
याचिका खारिज – लेकिन ट्रायल कोर्ट में राहत पाने का रास्ता खुला
हाईकोर्ट ने साहनी की अर्जी खारिज कर दी। हालांकि, उन्हें ट्रायल कोर्ट में डिस्चार्ज अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी गई।
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