पढ़ाई की उम्र में शराब की बोतलों में जिंदगी के फलसफे तलाश रहे हैं मासूम

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Mohit Kumar

दुमका : स्कूल चलें हम, आधी रोटी खाएंगे, फिर भी स्कूल जाएंगे जैसे स्लोगन के साथ बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सरकार शिक्षा पर करोड़ों खर्च करने के दावे कर रही है, लेकिन धरातल पर उसकी हकीकत क्या है, जब आप इसे जानेंगे, तो इसकी सच्चाई आपके सामने आ जाएगी। वैसे तो राज्य के हर क्षेत्र में आपको इन दावों की धज्जीयां उड़ती दिख जाएंगी, लेकिन हम जिसकी बात कर रहे हैं, वह घटना दुमका की है।

आपको होटल, चाय की दुकानों पर अपनी जिंदगी की जद्दोजहद से जुझते बच्चे मिल जाएंगे, लेकिन यहां बच्चे शराब की खाली बोतलों में अपनी जिंदगी तलाश रहे हैं। ये छोटे-छोटे बच्चे हैं, लेकिन इन्हें शराब की ये खाली बोतल जीने का सहारा दे रही है। यही कारण है कि ये पढ़ाई को छोड़ शराब की खाली बोतलें बटोर रहे हैं, ताकि अपना पेट भर सकें, लेकिन इस ओर देखने की फुर्सत किसी को नहीं है।

दुमका के नगर थाना क्षेत्र के सराय रोड स्थित सरकारी शराब दुकान के सामने खुले आम बीयर बार चलता है। शराब के शौकीन लोग अपना गला तर करने के बाद खाली बोतलों को वहीं फेंक देते हैं और ये नाबालिग छोटे-छोटे बच्चे इन खाली बोतलों में अपनी जिंदगी की तलाश कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार करोड़ो रूपए खर्च करती है, लेकिन उसकी जमीनी हकीकत क्या है, यह आप तस्वीरों में देख सकते हैं, लेकिन जिंदगी के फलसफे को देखें, तो ये छोटे बच्चे भले ही पढ़ाई न कर पा रहे हों, लेकिन जुगाड़ से जिंदगी चलाना जरूर सीख रहे हैं, लेकिन क्या यही इनका भविष्य है, या इनका जीवन और बेहतर हो सकता है? इसपर सरकार और जिम्मेवार लोगों को सोचने की जरूरत है।

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