जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर गहरा विवाद सामने आया है। जिला उपाध्यक्ष बबलू झा ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्रीय पर्यवेक्षक की तैयार की गई सूची सार्वजनिक नहीं की गई और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो वे आत्मदाह तक करने पर मजबूर होंगे।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के “संगठन सृजन अभियान” के तहत केंद्रीय पर्यवेक्षक ने प्रखंड और पंचायत स्तर पर रायशुमारी कर कार्यकर्ताओं, समर्थकों और समाज के गणमान्य लोगों की राय संकलित की थी। इस रायशुमारी के आधार पर मजबूत दावेदारों की प्राथमिकतावार सूची तैयार की गई थी। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अंतिम निर्णय में पर्यवेक्षक की रिपोर्ट को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया और विधायकों व मंत्रियों की सिफारिश पर ऐसे व्यक्ति को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो सूची में शामिल नहीं था।
गांधी घाट, जमशेदपुर में आयोजित सत्याग्रह में बबलू झा, जिला महासचिव अमित दुबे, जिला सचिव अजितेश उज्जैन, आजम सफी बादशाह, शमीम गद्दी, गुलाम मोहम्मद और कुलदीप सिंह समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे। बबलू झा ने मीडिया से कहा कि पूर्वी सिंहभूम जिले के कुल 72 दावेदारों में से किसी का नाम चयन में नहीं आया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पर्यवेक्षक की सूची सार्वजनिक नहीं की गई, तो आंदोलन और व्यापक होगा और वे आत्मदाह तक करने को मजबूर होंगे। जिला सचिव अजितेश उज्जैन ने बताया कि संगठन हित में गलत को गलत कहा जाना चाहिए और उसका विरोध किया जाना जरूरी है। वहीं, सोशल मीडिया पर यह भी चर्चा हो रही है कि नए जिलाध्यक्ष पदभार ग्रहण के दौरान लाल कार में आए थे, जिसे लेकर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस में यह विवाद नए जिलाध्यक्ष के चयन प्रक्रिया और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।






