86 बस्तीवासियों को मालिकाना हक देने की मांग तेज़, विधायक पूर्णिमा साहू ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र।

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चुनावी वादों की दिलाई याद, कहा जनता अब ठोस निर्णय चाहती है...

जमशेदपुर। जमशेदपुर की 86 से अधिक बस्तियों में रहने वाले लाखों लोगों को मालिकाना हक दिलाने की मांग एक बार फिर तेज़ हो गई है। वर्षों से अधर में लटकी इस मांग को लेकर अब राजनीति भी गरमाने लगी है। इसी क्रम में जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा साहू ने सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर सरकार से तुरंत फैसला लेने की मांग की है।

विधायक ने अपने पत्र में साफ कहा है कि यह मुद्दा केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि जनता के जीवन और सम्मान से जुड़ा गंभीर प्रश्न है। दशकों से इन बस्तियों में लोग रह रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें अपनी ज़मीन पर मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। “लाखों लोगों का सपना आज भी अधूरा है। मालिकाना हक मिलने से उनका जीवन सुरक्षित, सम्मानजनक और स्थिर हो सकेगा,” विधायक ने पत्र में लिखा।

उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2005 में टाटा लीज नवीकरण के दौरान 1800 एकड़ भूमि इन 86 बस्तियों के लिए सुरक्षित रखी गई थी। इसके बाद 2018 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने बस्तीवासियों को 10-10 डिसमिल ज़मीन लीज पर देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। यानी, इस दिशा में पहले भी ठोस पहल हुई थी, लेकिन आज तक पूरा समाधान नहीं निकल पाया।

पूर्णिमा साहू ने झामुमो और कांग्रेस पर सीधा सवाल उठाते हुए कहा कि इन पार्टियों ने भी चुनावी घोषणापत्र में मालिकाना हक देने का वादा किया था। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि नवंबर 2024 में जमशेदपुर की चुनावी सभा में विधायक कल्पना सोरेन ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि झामुमो सरकार बनते ही बिरसानगर समेत सभी बस्तियों के निवासियों को मालिकाना हक दिया जाएगा।

विधायक ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र के साथ कई समाचार पत्रों की कटिंग भी संलग्न की हैं, जिनमें इन वादों का स्पष्ट उल्लेख है। उनका कहना है कि जब गठबंधन सरकार आज सत्ता में है तो यह वक़्त चुनावी वादों को निभाने का है, न कि उन्हें ठंडे बस्ते में डालने का।

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि इस विषय पर उन्होंने झारखंड विधानसभा के बजट सत्र 2025 के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया था, लेकिन तब सरकार की ओर से कोई ठोस और स्पष्ट जवाब नहीं मिला।

“यह जनता से जुड़ा मानवीय मुद्दा है। अब सरकार को वक़्त गंवाए बिना बस्तीवासियों को उनका अधिकार देना चाहिए। मालिकाना हक मिलने से उनकी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति में अभूतपूर्व सुधार होगा और उनका जीवन सुरक्षित और सम्मानजनक बनेगा,” विधायक साहू ने अपने पत्र में लिखा।

जनता भी अब इंतज़ार से थक चुकी है। सवाल यह है कि क्या सरकार अपने वादों पर खरी उतरेगी या यह मुद्दा फिर से चुनाव तक टल जाएगा?

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