घाटशिला स्थित अनुमंडल दंडाधिकारी का न्यायालय में विगत 10 वर्षों से स्थाई स्टाम्प वेंडर के नहीं होने से अधिवक्ताओं सहित मुवक्किलों को भी न्यायिक कार्य में काफी कठिनाई हो रही है . साथ ही भूमि सुधार उप समाहर्ता का पद भी पिछले 10 वर्षों से रिक्त रहने के कारण भूमि विवाद से सम्बंधित कई मामले अटके पड़े है .
ज्ञात हो की घाटशिला अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में उनका न्यायालय भी कार्य करता है साथ ही वहां अवर निबंधक का भी कार्यालय है . जिसमे राजस्व सम्बन्धी कार्य , रजिस्ट्री इत्यादि किये जाते हैं . जिससे सरकार के खाते में राजस्व आता है . मगर यह सभी कार्य गैर न्यायिक स्टाम्प पेपर के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है . इसके बावजूद अनुमंडल न्यायालय में आज तक स्थाई स्टाम्प वेंडर की नियुक्ति सरकार नहीं कर सकी है . ऐसा नहीं है की इसके लिए अधिवक्ताओं ने कभी मांग नहीं की . वरिष्ठ अधिवक्ता कामख्या प्रसाद भकत बताते हैं की अनुमंडल न्यायालय में स्थाई स्टाम्प वेंडर की नियुक्ति के लिए कई बार अनुमंडल पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट करवाया गया है मगर कोई परिणाम नहीं निकला .
अनुमंडल कार्यालय में भूमि सुधार उप समाहर्ता का पद भी पिछले दस वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है, जो की प्रभार में चल रहा है जिसके फलस्वरूप भूमि वापसी वाद , समेत अन्य जमीन सम्बन्धी मुक़दमे अटके पड़े हैं. उसपर स्टाम्प पेपर , कोर्ट फीस के टिकट , वकालतनामा की किल्लत से वकीलों में असंतोष पनप रहा है . यदि किसी व्यक्ति को 107 की नोटिस आ गयी तो सबसे पहले उसे अनुमंडल न्यायालय जाना पड़ेगा फिर वहां से वकील साहब उसे दो किलोमीटर दूर व्यवहार न्यायालय भेजते है जहाँ से उसे वकालतनामा , डेमी पेपर , और अन्य आवश्यक न्यायिक कार्य में प्रयुक्त होने वाले दस्तावेज लाने होते है तब जाकर कहीं उसकी पैरवी की प्रक्रिया शुरू हो पाती है .वहीँ अगर किसी मुवक्किल को मुकदमा से सम्बंधित दस्तावेजो की सर्टिफाइड कॉपी निकालनी हो तो उसे निकालने में भी काफी समय लग जाता है .
बहरहाल वकीलों ने अनुमंडल पदाधिकारी से माग किया है की वर्तमान में व्यवहार न्यायालय घाटशिला में जो वेंडर कार्यरत हैं उन्हें ही हफ्ते में 2 दिन 2 घंटो के लिए यहाँ बैठाया जाये ताकि आंशिक रूप से ही सही समस्या का कुछ तो समाधान निकले .