जमशेदपुर: टाटा स्टील फाउंडेशन की पहल मस्ती की पाठशाला (एमकेपी) से जुड़ी 47 छात्राओं ने वर्ष 2025 में मैट्रिक परीक्षा दी। इसमें तीन छात्राओं – अमृता, रेखा और स्मृति ने विशेष प्रदर्शन किया। अमृता और रेखा ने 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए, जबकि स्मृति ने 79 प्रतिशत अंक हासिल किए।
तीनों की कहानी सिर्फ़ अंक तक सीमित नहीं है। अमृता और रेखा ने गरीबी के बावजूद स्लैग बीनने जैसे कठिन काम किए ताकि परिवार का पेट भरे। स्मृति ने माता-पिता खो दिए थे और अपनी बड़ी बहन के साथ रहकर प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठा कर जीवन की मुश्किलों का सामना किया। उनके दैनिक जीवन में शिक्षा के लिए समय नहीं था, क्योंकि दो वक्त की रोटी जुटाना उनकी प्राथमिकता थी।
जब मस्ती की पाठशाला की टीम ने सर्वे किया, तो उन्होंने तीनों को शिक्षा के विकल्पों के बारे में बताया। काउंसलिंग और मार्गदर्शन के बाद, तीनों ने एमकेपी में दाखिला लिया। ब्रिजिंग कोर्स के माध्यम से शिक्षा की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने मुख्यधारा के स्कूलों में प्रवेश लिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ीं।
मैट्रिक परीक्षा में शानदार अंक हासिल करने के बाद, तीनों ने अपने करियर को संवारने का निर्णय लिया। अमृता चांडिल के इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में सीएनसी कोर्स कर रही हैं। रेखा टाटा स्टील टेक्निकल इंस्टिट्यूट, बर्मामाइंस में इलेक्ट्रिकल ट्रेड का कोर्स कर रही हैं। स्मृति विज्ञान विषय में पढ़ाई जारी रख रही हैं, ताकि अपने सपनों का करियर बना सके।
मस्ती की पाठशाला टाटा स्टील फाउंडेशन का दस साल पुराना कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य स्कूल से बाहर बच्चों को वापस लाना और उन्हें शिक्षा के लाभ से जोड़ना है। 2024 में एमकेपी के पहले बैच ने मैट्रिक परीक्षा पास की, और कई छात्र अब अपने सपनों की नौकरी कर रहे हैं।
एमकेपी ने अब तक जमशेदपुर के 139 बस्तियों में से 25 बस्तियों को बाल श्रम मुक्त बनाने में मदद की है। इस कार्यक्रम ने बच्चों को कठिन श्रम से बाहर निकालकर शिक्षा और उज्जवल भविष्य की राह दिखाई है।






