जमशेदपुर मानगो दाईगुट्टु शिव मंदिर में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का तीसरे दिवस में हरिद्वार से आए कथावाचक पंडित वसंत नारायण शास्त्री जी ने समस्त श्रोताओं को श्लोक के माध्यम से बताया कि (यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।)
अर्थात जब जब धरती पर संत ब्राह्मण गौ और धर्म पर अत्याचार बढ़ता है तब-तब भगवान धर्म की रक्षा हेतु अवतरित होते हैं, शास्त्री जी ने कहा कि हम सबका भी दायित्व बनता है कि अपना धर्म एवं संस्कृति की रक्षा करें क्योंकि आज के आधुनिक युग में लोग पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं और अपने संस्कृति , सभ्यता और संस्कार को भूलते जा रहे हैं। अतः ऐसे दिव्य सत्संग कथा के माध्यम से ही लोगों में शुभ संस्कार जागृत हो सकता है। मुख्य यजमान के रूप में शारदानंद तिवारी,ललू जी,चिरंजीवी प्रकाश(पप्पूजी) मधु सर आचार्य ब्रजेश पांडे जगदीश तिवारी एवं अन्य समस्त भक्तगण उपस्थित हुए।