जमशेदपुरः सभ्यता के विकास में धातु विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान रहा है। चाहे वह गहना में प्रयोग होने वाली धातु हो या हथियार में। जहां एक ओर धातु के विकास ने कैमरा, टाइपराइटर, इलेक्ट्रिक जनरेटर जैसे उपकरणों को आसान बनाया, वहीं आधुनिक धातु विज्ञान, न्यूक्लियर और एयरोस्पेस मेटलर्जिकल स्टील, बैटरी मेटल, रेयर अर्थ मेटल, सिलिकॉन मेटल सेमीकंडक्टर, हल्का वजन का मजबूत स्टील, बायो मेटलर्जी जैसे धातु विज्ञान ने सभ्यता के विकास को नई ऊंचाई दी है। उक्त बातें राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जमशेदपुर में धातुकर्म एवं अभियांत्रिकी विभाग द्वारा आयोजित विशेषज्ञ संवाद 3 में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी डॉ. टी भास्कर ने कही।
उन्होंने मेटलर्जी के छात्र-छात्राओं से संवाद के क्रम में आगे कहा कि 2030 तक स्टील का उत्पादन 120 मीट्रिक टन से बढ़कर 300 मीट्रिक टन हो जाएगा। आप समझ सकते हैं कितने मेटालर्जिस्ट की आवश्यकता होगी। केवल स्टील नहीं साथ में कई धातुओं का उत्पादन बढ़ेगा, लेकिन उत्पादन बढ़ने के साथ ही पर्यावरण सही रखने की नई चुनौतियां भी आयेंगी, जिसका सामना नवाचार के द्वारा युवा धातु वैज्ञानिकों को करना होगा। इसके साथ ही कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन, टेलिंग प्रबंधन आदि जैसी कुछ चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन फ्यूल का उपयोग इसका समाधान है। इसके लिए विशेष प्रकार के स्टील की आवश्यकता होगी, क्योंकि इसमें इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया होती है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सही धातु यौगिक का प्रयोग नहीं होने के कारण टाइटेनिक जहाज दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। विश्व प्रसिद्ध डमास्कस तलवार के लिए लोहा भारत में बनता था। कुतुबमीनार का लौह स्तंभ जिसमें जंग नहीं लगा है, हमारे प्राचीन तकनीक का सुंदर उदाहरण है। कहा कि अभी भी सभ्यता के विकास में मेटलर्जी वालों को बड़ा रोल है। युवाओं को इस भूमिका को निभाना है।
भविष्य में आने वाले तकनीक की चर्चा करते हुए उन्होंने सोडियम बैटरी, ब्लास्ट फर्नेस में हाइड्रोजन के उपयोग, स्टील बनाने के टेक्नोलॉजी में नवाचार आदि विषय पर अपनी बात रखी और कहा कि आने वाला समय समस्या के समाधान के लिए आउट ऑफ बॉक्स सोच सकने वाले विशेषज्ञों का है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ टी भास्कर के अलावा प्रोफेसर बी के सिंह सहित अन्य मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञ डॉ भास्कर के साथ छात्र-छात्राओं के बीच विभिन्न मुद्दों पर संवाद हुआ, जिसमें सभ्यता के विकास में धातु विज्ञान के योगदान पर चर्चा हुई।