IIT की परीक्षा क्वालिफाई करना और वह भी 54वीं रैंक के साथ, बिना किसी कोचिंग या किसी गाइडेंस के जेल की सलाखों के पीछे रहकर, थोड़ा नहीं पूरी तरह मुश्किल है, क्योंकि लाखों खर्च कर लंबी तैयारी के बाद कोचिंग की मदद लेकर भी आईआईटी एग्जाम क्वालिफाई करना मुश्किल होता है, लेकिन जेल की सलाखों के पीछ बंद रहते हुए बिना किसी कोचिंग के ऐसा कारनाम कर दिखाया है सूरज कुमार ने। अब आप बिना किसी संकोच यह कह सकते हैं कि ऐसा केवल बिहार में ही हो सकता है। यहां घर-घर में टैलेंट पलता है, जरूरत है, उसे समझने और सही रूप देने की। कोचिंग-कोचिंग की रट लगाने वालों के लिए सूरज कुमार की सेल्फ स्टडी का यह जज्बा किसी को मोटिवेट करने के लिए काफी है। आइए जानते हैं सूरज के इस प्रयास के बारे में।
गौरतलब है कि आईआईटी का रिजल्ट पिछले सप्ताह जारी हुआ था। जेल में बंद सूरज को जब इसकी जानकारी मिली तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना न था। आईआईटी में पढ़ने का उसका सपना साकार होने जा रहा है। वैसे सूरज साइंटिस्ट बन देश की सेवा करना चाहता है। इस साल आईआईटी जेएएम का आयोजन आईआईटी रूड़की के द्वारा किया गया था।
अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह होनहार जेल में क्यों बंद है, तो हम आपको बता देते हैं कि सूरजन विगत 2021 के अप्रैल माह में अपने गांव में नाली विवाद को लेकर हुई मारपीट और इस दौरान हुई हत्या के मामले में जेल में बंद है। मामले में उसे नामजद किया गया है। जेल जाने के बाद उसकी पढ़ाई बाधित होने लगी। लेकिन नवादा के तत्कालीन मंडल जेल अधीक्षक अभिषेक कुमार पांडेय ने उसकी मदद की। उसे किताबें और अन्य सामग्री उपलब्ध करायी और आज सूरज ने यह एग्जाम क्रैक कर लिया।