Jamshedpur: सावन 2025 की पावन शुरुआत: शहर में भक्ति, रंग और उल्लास की छटा

3 Min Read

जमशेदपुर: श्रावण मास (सावन) 2025 की आज से पवित्र शुरुआत हो चुकी है। भगवान शिव को समर्पित इस महीने ने शहर में धार्मिक वातावरण, आस्था और सांस्कृतिक उल्लास का संचार कर दिया है। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं बाजारों में हरे और गेरुए वस्त्रों, पूजा सामग्री और कांवड़ यात्रा से जुड़ी वस्तुओं की जबरदस्त मांग देखी जा रही है।

सावन की छटा से सजे बाजार

शहर के प्रमुख बाजार — साकची, बिष्टुपुर, कदमा और जुगसलाई — हरे और केसरिया रंगों की चहल-पहल से गुलजार हैं। भोलेनाथ की छवि वाले टी-शर्ट, त्रिशूल-डमरू प्रिंट, सलवार-सूट, गमछा, थैले और कांवड़ सामग्री की खूब बिक्री हो रही है।

आइटम कीमत (₹ में)

भोलेनाथ टी-शर्ट 100–500
केसरिया गंजी 150–200
सलवार-सूट 300–1200
साड़ी (सूती/सिंथेटिक) 250–1000
गमछा 80–250
थैला 60–300
कैमरा बैग 100–500

महिला संगठनों की सावन तैयारियां

मारवाड़ी महिला समाज, सुरभि शाखा, भूमिहार महिला समाज, क्षत्रिय समाज और जमशेदपुर डिवास ग्रुप समेत कई महिला संगठनों ने सावन महोत्सव, क्वीन प्रतियोगिता, नृत्य-संगीत और क्विज प्रतियोगिताओं के आयोजन में कमान संभाली है।
जमशेदपुर डिवास ग्रुप का मुख्य महोत्सव 20 जुलाई को होटल दयाल में आयोजित होगा, जिसमें महिलाओं को अपनी कला और संस्कृति दिखाने का सुनहरा अवसर मिलेगा।

शिवालयों में पूजा-अभिषेक की विशेष व्यवस्था

शहर के प्रमुख शिवालयों में जलाभिषेक, श्रृंगार और महाआरती की भव्य तैयारी की जा रही है।
प्रमुख पूजा स्थल और समय:

  • पारडीह काली मंदिर: सुबह 4 बजे से
  • रंकिणी मंदिर, कदमा: सुबह 5 बजे से
  • शीतला मंदिर, साकची: सुबह 6 बजे से
  • टेल्को शिवधाम व गोलमुरी पशुपतिनाथ मंदिर: महाआरती शाम 5 बजे से
  • स्वर्णरेखा और दोमुहानी घाटों से जल लाकर भक्त कांवड़ यात्रा में भाग लेंगे।

सावन 2025 के सोमवार और विशेष योग

सोमवार तिथि विशेष योग

  • पहला सोमवार 14 जुलाई धनिष्ठा नक्षत्र, आयुष्मान योग, गणेश चतुर्थी संयोग
  • दूसरा सोमवार 21 जुलाई रोहिणी नक्षत्र, कामिका एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग
  • तीसरा सोमवार 28 जुलाई धन योग, वृद्ध चतुर्थी, मंगल गोचर
  • चौथा सोमवार 4 अगस्त ब्रह्म और इंद्र योग, सर्वार्थ सिद्धि योग

सावन सोमवार व्रत और पूजा विधि

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, सफेद चंदन और जल चढ़ाएं।
  • घी का दीप जलाएं, 108 बार “ॐ शिवाय नमस्तुभ्यं” का जाप करें।
  • माता पार्वती की भी पूजा करें और श्रृंगार अर्पित करें।
  • व्रती व्यक्ति एक समय सात्विक भोजन करें और संयम रखें।

सावन क्यों है खास?

सावन भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। इसी माह में पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि सावन में की गई शिव आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।

Share This Article