साक्षी भोगल बताती हैं क्यों कुछ लोगों को ब्लैंकेट के बिना नींद नहीं आती और इसके पीछे का मनोवैज्ञानिक कारण

जानिए साक्षी भोगल से क्यों कुछ लोगों को ब्लैंकेट के बिना नींद नहीं आती और इसके पीछे का मनोवैज्ञानिक रहस्य।

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जयपुर की ग्रूमिंग और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट एक्सपर्ट साक्षी भोगल बताती हैं कि कैसे बचपन और भावनात्मक अनुभव कुछ लोगों की नींद की आदतों और ब्लैंकेट के प्रति लगाव को प्रभावित करते हैं।

गर्मियों की रात हो या ठंडी शाम, कई लोग अपनी नींद पूरी करने के लिए ब्लैंकेट का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ़ गर्मी या ठंड के कारण ही लोग ब्लैंकेट का इस्तेमाल नहीं करते? जयपुर की उभरती हुई ग्रूमिंग और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट एक्सपर्ट, साक्षी भोगल बतातीं हैं कि कई बार यह हमारी नींद और आदतों के पीछे मनोवैज्ञानिक और सुरक्षा से जुड़ा कारण होता है।

भोगल बताती हैं कि जिन लोगों का बचपन तनावपूर्ण रहा हो या जो भावनात्मक रूप से अस्थिर परिस्थितियों से गुज़रे हों, उनका नर्वस सिस्टम कभी पूरी तरह रिलैक्स नहीं हो पाता। ऐसे में एक पतली शीट या ब्लैंकेट उनके लिए सिर्फ़ गर्मी का साधन नहीं बल्कि सुरक्षा की ढाल और मानसिक शांति का जरिया बन जाता है। “आप अगर ध्यान दें तो देखेंगे कि ऐसे लोग अक्सर ब्लैंकेट को आधा ढक कर, एक पैर बाहर रखते हुए और उसे टाइटली पकड़कर सोते हैं। यह आदत सिर्फ़ शरीर को गर्म रखने के लिए नहीं होती, बल्कि यह उन्हें ग्राउंडिंग और सुरक्षा का अहसास देती है,”

 

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ये छोटी-छोटी रोज़मर्रा की आदतें दिखाने में साधारण लगती हैं, लेकिन इनके पीछे हमारी मानसिक और भावनात्मक दुनिया की गहरी परतें छिपी होती हैं। यह समझना कि हमारी आदतें हमारे मनोवैज्ञानिक अनुभवों से कैसे जुड़ी हैं, न सिर्फ हमारी खुद की समझ को बढ़ाता है, बल्कि हमारे रोज़मर्रा के व्यवहार को भी बेहतर ढंग से जानने में मदद करता है।

भोगल उन लोगों को प्रोत्साहित करती हैं जो अपनी रोज़मर्रा की आदतों और व्यवहारों के पीछे के मनोवैज्ञानिक कारणों के बारे में जानना चाहते हैं। उनका मानना है कि छोटे-छोटे अवलोकन हमें अपने आप को बेहतर समझने और अपनी भावनाओं के साथ तालमेल बिठाने में मदद करते हैं। साक्षी भोगल, जयपुर की उभरती हुई ग्रूमिंग और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट एक्सपर्ट हैं। मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास निर्माण और व्यक्तिगत विकास के क्षेत्र में उनके अनुभव और सलाह लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हो रहे हैं। उनकी कोशिश रहती है कि लोग अपने व्यवहार और आदतों को समझकर एक बेहतर और आत्मनिर्भर जीवन जी सकें।

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