पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनावी मैदान में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। चुनाव निगरानी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के लिए कुल 2,616 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 2,600 से अधिक उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण किया गया।
रिपोर्ट में सामने आया है कि लगभग हर तीन में से एक उम्मीदवार पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुल 838 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है, जबकि 695 उम्मीदवार गंभीर मामलों में फंसे हुए हैं। इनमें हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध और भ्रष्टाचार शामिल हैं। खासतौर पर 52 उम्मीदवारों पर हत्या, 165 पर हत्या की कोशिश और 94 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। इसमें पांच उम्मीदवारों पर बलात्कार के गंभीर आरोप भी शामिल हैं।
राज्य की चुनावी स्थिति और भी गंभीर है। 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 164 सीटें “रेड अलर्ट” घोषित की गई हैं। इन सीटों पर तीन या अधिक उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का खुलासा किया है। ऐसे में मतदाताओं के लिए किसी बेदाग उम्मीदवार को चुनना बेहद कठिन हो गया है।
ADR की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी की है। फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि राजनीतिक दलों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को क्यों चुना। इसके बावजूद सभी प्रमुख दलों ने लगभग 32% दागी उम्मीदवारों को टिकट दिया। दलों ने 20% से लेकर 100% तक ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।
पैसे की ताकत भी इस चुनाव में साफ दिखाई दे रही है। 2,600 उम्मीदवारों में से 1,081 यानी लगभग 42% करोड़पति हैं। यानी हर पांच में से लगभग दो उम्मीदवारों के पास 1 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है। उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3.35 करोड़ रुपए है। यह स्पष्ट करता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में धनबल का बड़ा असर है।
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। पहला चरण गुरुवार, 6 नवंबर को 121 सीटों पर मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। मतगणना 14 नवंबर को होगी।





