जमशेदपुर: बाहा बोंगा के बाद आदिवासी समाज का सबसे बड़ी और पवित्र पूजा गोट बोंगा यानी “सोहराय पर्व” आगामी 24 अक्टूबर से शुरू होगा। यह पर्व लगातार पांच दिनों तक चलता रहेगा। कार्तिक अमावस्या के दिन सामूहिक रूप से विभिन्न गांव के नायके बाबा (पुजारी) द्वारा अपने अपने गांव में गोट पूजा कर इस महोत्सव की शुरुआत की जाती है। इसके बाद गांव के लोगों द्वारा प्रसाद के रूप में सोड़े ग्रहण किया जाता है। शहरी क्षेत्र के करनडीह, सरजामदा, तालसा, बारीगोड़ा, शंकरपुर, रानीडीह, छोलागोड़ा, मातलाडीह, परसुडीह आदि ग्रामीण इलाकों में अभी से ही सोहराय महोत्सव की तैयारियां चल रही है। जहां, गांव के पुरुष बाजारों से आवश्यक सामग्री खरीदने में लगे हुए हैं, वहीं महिलाएं अपने अपने घरों की दीवारों में लिपाई पुताई व रंगाई के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की कलाकृति बनाने में व्यस्त हैं। सुंदर और आकर्षक कलाकृति बनाने में आदिवासी समाज की महिलाओं को महारत हासिल है, जो उनकी कारीगरी देख साफ पता चलता है।
21 मौजा के सरजामदा पुड़सी माझी बाबा भुगलू सोरेन ने कहा कि फसल की अच्छी पैदावार होने के बाद सभी किसान सोहराय पर्व के माध्यम से अपने-अपने गाय और बैलों की पूजा करते हैं। हालांकि इस बार सूर्य ग्रहण लगने के कारण किसी-किसी गांव में यह गोट बोंगा 25 अक्टूबर को भी किया जा रहा है।
गांव के युवा राजेश मार्डी ने बताया कि इस सोहराय पर्व का आदिवासी समाज बेसब्री से इंतजार करता है। महिला तथा पुरुष सभी साफ-सुथरे पारंपरिक परिधान में रहते हैं और पांच दिनों तक चलने वाला सोहराय महोत्सव आपसी भाईचारा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर हंड़िया (पेय पदार्थ) का भी सेवन किया जाता है और सभी खुशियां मनाते हैं।
सोहराय महोत्सव कार्यक्रम
23 अक्टूबर : उम नाड़का
24 अक्टूबर : गोट बोंगा
25 अक्टूबर : दाकाय माहा
26 अक्टूबर : आड़ा माहा
27 अक्टूबर : जाजले माहा