अचानक कुछ लोग आपके घरों में आ जाते हैं और ये कहते हैं, चले जाओ, तुमलोगों के लिए यहां कोई जगह नहीं। कल्पना करिए आपके अपने घर, जमीन, दोस्त, आंगन, चार दिवारी, सभी यादों को एक पल में छोड़ जाना पड़े तो…..
1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की ऐतिहासिक घटना पर बनी फिल्म द काश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) 11 मार्च को सिनेमा घरों में आने वाली है।
मगर आने से पहले कई विवादो में आ गई है। छः महीने पहले एनडीटीवी ने अपने पेज पर इसे एक प्रोपगेंडा फिल्म बताया फिर चुपके से हटा कर विवेक रंजन की फिल्म द काश्मीर फाइल्स डाली गई। फरवरी में फिल्म का ट्रेलर आते ही फिल्म के प्रदर्शन को रोकने के लिए अनगिनत पीआईएल दाखिल हो चुके हैं। यहां तक की फिल्म की टीम ने जब अपना प्रोमोशन कॉमेडियन कपिल शर्मा शो में करना चाहा तो कोई सुपर स्टार ना होने के कारण प्रोमो भी करने नहीं दिया। जिसे लेकर प्रसंशकों ने बाइकॉट कपिल शर्मा ट्रोल करना शुरू कर दिया।
नरसंहार की सच्चाई दिखाने को लेकर डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री (Vivek Ranjan Agnihotri) ने आम लोगो की राय जानने के लिए अपने सोसल मीडिया अकाउंट से एक वीडियो डाला जिसका कैप्शन “टूटे हुए लोग नहीं बोलते, उन्हें सिर्फ सुना जाता है”। लोग इसे पसंद कर तारीफ कर रहे हैं।
मीडिया इंटरव्यू में विवेक रंजन अग्निहोत्री कहते हैं, हमने सच्चाई का आईना दिखाना चाहा है। ये घटना भारतीय राजनीति का एक अहम हिस्सा है साथ ही यह एक संवेदनशील मुद्दा है। जिसको पर्दे पर उतरना कोई आसान काम नहीं था। यह फिल्म नहीं इमोशन है। विश्व में कई घटनाएं घटी परंतु ऐसी घटना कही नहीं हुई। फर्स्ट जनरेशन जिन्होंने इस घटना को देखा है, जीया है, उन्हें देश विदेश से संपर्क कर घटनाओं को जानते समय ही कलाकार के रोगटे खड़े हो रहे थे।
इस मुद्दे को लेकर कई फिल्म आई पर असल मुद्दे को नहीं ला पाई है।
जम्मू में रखी गई “द काश्मीर फाइल्स” की स्पेशल स्क्रीनिंग को देखने के बाद हर एक दर्शक रो रहे थे। सोशल मीडिया पर लोगो को देखा जा सकता है की इस फिल्म को देखने के लिए लोग कितने बेताब है। कुछ तो फिल्म पर रोक लगने पर आंदोलन करने की बात भी कर रहे है।
अगर कोई अड़चन नहीं आई तो संभव है 11 मार्च को फिल्म सिनेमा घरों में रिलीज हो जाए। जिसमे लीड रोल में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार हैं, साथ ही सेना के अधिकारियों सहित कई प्रभावशाली हस्तियां शामिल हैं।