लौहनगरी जमशेदपुर अपनी औद्योगिक पहचान के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहरों के लिए भी जाना जाता है। 1919 में स्थापित इस शहर में कई ऐसे स्थल और इमारतें हैं, जो न सिर्फ इतिहास को संजोए हुए हैं, बल्कि आज भी लोगों को अचंभित कर देते हैं। आइए जानें जमशेदपुर की कुछ खास विरासतों के बारे में-
सर दोराबजी पार्क – प्रेम और समर्पण का प्रतीक
बिष्टुपुर स्थित सर दोराबजी पार्क टाटा परिवार के प्रेम की अनोखी कहानी बयां करता है। यहां जे.एन. टाटा के पुत्र सर दोराबजी टाटा और उनकी पत्नी मेहरबाई टाटा की प्रतिमाएं स्थापित हैं। पार्क का मुख्य आकर्षण हीरे के आकार की संरचना है, जो उनके अटूट रिश्ते का प्रतीक है।
सेंट जॉर्ज चर्च – प्रथम विश्व युद्ध की स्मृति
बिष्टुपुर बी रोड पर स्थित सेंट जॉर्ज चर्च का निर्माण 1916 में हुआ था। यह चर्च प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया था। यह जमशेदपुर का एकमात्र प्रोटेस्टेंट चर्च है, जहां आज भी अंग्रेज़ी में प्रार्थना होती है।
आर्मरी ग्राउंड – स्वदेशी तोप का गवाह
बिष्टुपुर का आर्मरी ग्राउंड, जहां कभी स्वदेशी तोप प्रदर्शित की गई थी, शहर की सैन्य महत्ता की कहानी सुनाता है। 1941 में यहां बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन का गठन हुआ था, जिसने विश्व युद्ध के दौरान टाटा स्टील प्लांट की सुरक्षा की थी।
यूनाइटेड क्लब – नेताओं की बैठक का स्थल
1914 में स्थापित यूनाइटेड क्लब (पूर्व में टिस्को इंस्टीट्यूट) आज भी शहर की अहम पहचान है। महात्मा गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने जमशेदपुर प्रवास के दौरान यहीं कर्मचारियों से मुलाकात की थी।
डायरेक्टर्स बंगला – ऐतिहासिक मेहमानों का ठिकाना
1918 में बना डायरेक्टर्स बंगला इंडो-सैकरासेनिक शैली की अनूठी मिसाल है। यहां सर दोराबजी टाटा और बाद में देश की कई नामचीन हस्तियां ठहर चुकी हैं, जिनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल हैं।
होटल बुलेवर्ड – शहर का पहला निजी होटल
1919 में बना होटल बुलेवर्ड जमशेदपुर का पहला निजी होटल माना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहां ब्रिटिश और अमेरिकी पायलटों ने लंबे समय तक ठहराव किया था।
भरूचा मेंशन – पारसी युवाओं के लिए आश्रय
1935 में टाटा स्टील के पहले भारतीय कैशियर खुर्शीद मानेकजी भरूचा ने यह इमारत बनाई थी। इसे आज रीगल बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है और इसका उद्देश्य बाहरी पारसी युवाओं को घर जैसा वातावरण देना था।
क्लॉक टॉवर – समय की ध्वनि
1939 में गोलमुरी गोल्फ ग्राउंड में स्थापित क्लॉक टॉवर आज भी शहर की पहचान है। 70 फीट ऊंचे इस टॉवर की घंटी की आवाज़ कभी टाटानगर स्टेशन तक सुनी जाती थी।
युद्धकालीन बंकर – शहर की रक्षा का प्रतीक
इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स (ISWP) परिसर के पास बना विशाल बंकर द्वितीय विश्व युद्ध के समय संभावित हवाई हमलों से बचाव के लिए तैयार किया गया था।
टाटा मोटर्स से पहले पेनसिल्वेनिया कंपनी
टाटा मोटर्स से पहले यहां पेनसिल्वेनिया कंपनी कार्यरत थी, जो रोड रोलर बनाती थी। बाद में घाटे के कारण इसे टाटा समूह ने अधिग्रहित कर लिया और जमशेदपुर को भारत का पहला ऑटोमोबाइल हब बना दिया।
टाटा फुटबॉल अकादमी – देश का पहला फुटबॉल नर्सरी
1987 में स्थापित टाटा फुटबॉल अकादमी ने भारतीय फुटबॉल को नई पहचान दी। यहां से सुब्रतो पाल और मोबासिर रहमान जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकले, जिन्होंने देश का गौरव बढ़ाया।





