जमशेदपुरः टेल्को कॉपरेटिव सोसाइटी चुनाव विवादों में है। सदस्य लगातार मामला उठा रहे हैं, लेकिन प्रबंधन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। कभी प्रबंधन द्वारा अपने अधिकारी की जीत सुनिश्चित करने के लिए उस पद पर खड़े कर्मचारी पर दबाव डालकर नाम वापस कराया जाता है तो कभी अपने मुताबिक बयानबाजी की जाती है। सोसाइटी चुनाव को लेकर जारी नोटिफिकेशन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। सेक्रेट्री द्वारा बिना हस्ताक्षर वाले नोटिफिकेशन के आधार पर चुनाव की घोषणा कर दी गई है और सभी लोग इसमें भीड़ गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि यह चुनाव कितना सही है।
बता दें कि टेल्को को-ऑपरेटिव सोसाइटी के चुनाव के लिए जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है, उसपर सचिव के हस्ताक्षर ही नहीं है। ऐसे में क्या यह चुनाव वैध है, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन कोई इसका जवाब नहीं दे रहा है। सचिव ने तो जैसे कसम ही खा रखी है कि न फोन उठाएंगे और न जवाब देंगे। शायद वे सोच रहे हों कि एक बार चुनाव हो जाए, उसका बाद क्या होगा।
शायद खबर प्रसारित होने के बाद इसमें कुछ खेल हो, लेकिन हमारे पास नोटिस बोर्ड पर लगे नोटिफिकेशन की भी तस्वीर है, जिसमें सचिव के हस्ताक्षर नहीं है। ठीक बगल में चुनाव पदाधिकारी का भी एक पत्र है, जिसपर चुनाव पदाधिकारी के हस्ताक्षर हैं, ऐसे में सचिव या चुनाव समिति इस झूठ को सच नहीं बना सकती।
इस चुनाव के नोटिफिकेशन को भी पूरी तरह से आधा-अधूरा रखा गया है, ताकि चीजों को अपने मुताबिक रूप दिया जा सके। इस बार के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की बात तो है, लेकिन उसमें कितनी सीट एससी और एसटी के लिए आरक्षित है, इसका कोई जिक्र ही नहीं। हालांकि कहा जा रहा है कि दो सीट आरक्षित है।
यही नहीं सोसायटी में तीन पद चेयरमैन, सचिव और कोषाध्यक्ष के पद को प्रबंधन ने अपने कब्जे में ले रखा है, यानी इन महत्वपूर्ण पदों पर प्रबंधन के लोग ही काबिज रहेंगे। इनके लिए चुनाव लड़ना और न लड़ना एक ही बात है, क्योंकि या तो इन्हें नोमिनेट किया जाता है या फिर निर्विरोध कराया जाता है। नोमिनेशन करना तो इनके लिए एक कोरम भर है, क्योंकि इनकी जीत पक्की होती है।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्रबंधन के डर के कारण कोई मजदूर इन पदों के लिए नामांकन ही नहीं करता और यदि कोई करता है तो उसे जबरन चुनाव से बैठा दिया जाता है। इस बार ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एक कर्मचारी रूद्र प्रताप सिंह ने सचिव के पद के लिए नामांकन दाखिल किया। इस पद पर टाटा मोटर्स के अधिकारी अमितेष पांडेय वर्तमान में काबिज हैं और दूसरी बार चुनाव के लिए उन्होंने नामांकन भी दाखिल किया है।
मजदूर अमितेष पांडेय के व्यवहार से काफी त्रस्त हैं और इस बात की चर्चा जोरों पर है। इस बीच रूद्र प्रताप सिंह ने इस पद के लिए नामांकन दाखिल किया तो एक तरह से उनकी जीत तय मानी जा रही थी, जो प्रबंधन को नागवार गुजर रहा था। इसके बाद रूद्र प्रताप के विभाग के डीजीएम को उसका नाम वापस कराने की जिम्मेवारी सौंपी गई और डीजीएम ने सोसाइटी कार्यालय में बैठक कर बाकायदा डिक्टेट कर नाम वापसी का पत्र लिखवाया। इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।
मामले में डीजीएम मनोज शर्मा कहते हैं कि यह बात रूद्र प्रताप से ही पूछनी चाहिए। हालांकि उन्हों कहा कि रूद्र ने उनसे नाम वापसी के लिए मदद मांगी थी। अब कोई इनसे पूछे कि वे नोमिनेशन के वक्त उनके साथ नहीं थे और रूद्र प्रताप ने खुद प्रस्तावक के साथ नामांकन दाखिल किया तो अब उसे नाम वापसी के लिए डीजीएम के सहयोग की जरूरत भला क्यों पड़ गई।