FSSAI लाइसेंस मिलने के बावजूद बाजार में क्यों मिल रहा है कम गुणवत्ता वाला और असुरक्षित खाना?

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  • FSSAI की फीस दी और लाइसेंस मिला, क्या यही है फूड सेफ्टी की गारंटी?
  • लाइसेंस तो मिला, लेकिन खाना सुरक्षित है क्या?
FSSAI लाइसेंस से छोटे और नए फूड बिज़नेस में बढ़ती आसान लाइसेंसिंग पर सवाल

वर्तमान समय में भारत में फूड व्यवसाय के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानि FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) लाइसेंस प्राप्त करना बेहद सहज और त्वरित हो गया है। अनेक नए उद्यमी और छोटे व्यवसायी केवल ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से, न्यूनतम आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड कर और निर्धारित फीस का भुगतान करते ही लाइसेंस प्राप्त कर लेते हैं और अपने व्यवसाय की शुरूआत कर देते हैं। यह सुविधा निश्चित रूप से नए व्यवसायियों के लिए एक सकारात्मक पहल है, लेकिन इसके साथ ही एक गंभीर सवाल उत्पन्न होता है कि क्या सभी व्यवसाय वाकई में खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के मानकों का पालन कर रहे हैं, या यह केवल लाइसेंस प्राप्त करने तक सीमित है?

एफ़.एस.एस.ए.आई. (FSSAI) का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में उपलब्ध सभी खाद्य पदार्थ पूर्णतः सुरक्षित और स्वच्छ हों। इसके तहत तीन प्रकार की मान्यता प्रदान की जाती है: छोटे व्यवसायों और घरेलू खाद्य उद्यमियों के लिए फूड रजिस्ट्रेशन, मध्यम स्तर के व्यवसायों के लिए स्टेट लाइसेंस, और बड़े उत्पादन प्लांट तथा निर्यातकों के लिए सेंट्रल लाइसेंस। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन संचालित होती है, जिसमें व्यवसाय से संबंधित आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड किए जाते हैं और औपचारिकताओं को पूरा करने के पश्चात लाइसेंस जारी कर दिया जाता है।

एफ़.एस.एस.ए.आई. लाइसेंस प्राप्त करने के लिए निर्धारित फीस व्यवसाय के आकार और प्रकार के अनुसार भिन्न होती है। छोटे व्यवसायों के लिए यह ₹100-₹200, स्टेट लाइसेंस के लिए ₹2,000-₹5,000, और सेंट्रल लाइसेंस के लिए ₹7,500-₹75,000 तक है। अधिकांश मामलों में, ऑनलाइन आवेदन करने और फीस जमा करने के कुछ ही दिनों में लाइसेंस प्रदान कर दिया जाता है, क्योंकि सत्यापन प्रक्रिया अधिकतर डिजिटल माध्यम से होती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में वास्तविक निरीक्षण या खाद्य गुणवत्ता की जाँच अक्सर अनुपस्थित रहती है। इसका परिणाम यह होता है कि कई व्यवसाय केवल लाइसेंस प्राप्त करने के उद्देश्य से आवेदन करते हैं, लेकिन उत्पादन, भंडारण और वितरण में स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं करते। इससे बाज़ार में कई बार ऐसे खाद्य उत्पाद उपलब्ध होते हैं, जिनकी गुणवत्ता और स्वच्छता उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।

कई बार देखा गया है कि एफ़.एस.एस.ए.आई. से मान्यता प्राप्त व्यवसायों द्वारा तैयार या वितरित खाद्य पदार्थ उपभोक्ता की अपेक्षित गुणवत्ता और स्वाद में कमी रखते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि ऑनलाइन प्रक्रिया में केवल फीस का भुगतान करना लाइसेंस प्राप्त करने का पर्याप्त आधार बन गया है, जबकि वास्तविक खाद्य सुरक्षा मानकों की जाँच और निरीक्षण सीमित या कभी-कभार ही किया जाता है।

यह जानकारी इस खबर के माध्यम से इसलिए साझा किया जा रहा है ताकि भविष्य में उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर खाद्य गुणवत्ता के कारण कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। एफ़.एस.एस.ए.आई. द्वारा लाइसेंस प्रदान किए जाने के बावजूद प्रत्येक व्यवसाय की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने उत्पादन और वितरण में खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करे। उपभोक्ताओं को भी सतर्क रहते हुए केवल विश्वसनीय और गुणवत्ता-सुरक्षित व्यवसायों से ही खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण का ऑनलाइन लाइसेंसिंग सिस्टम छोटे और नए व्यवसायों के लिए अत्यंत उपयोगी है, लेकिन केवल फीस जमा करना ही लाइसेंस का आधार नहीं होना चाहिए। वास्तविक निरीक्षण और खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए। तभी यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बाजार में उपलब्ध सभी खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए पूर्णतः सुरक्षित और स्वच्छ हों।

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