Indian Navy : भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘INS निस्तार’ नौसेना में शामिल

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नई दिल्ली : भारत ने समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए शुक्रवार को देश का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘INS निस्तार’ भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया। यह जहाज गहरे समुद्र में जटिल डाइविंग और बचाव अभियानों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। INS निस्तार की कमीशनिंग से भारतीय नौसेना की ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ की भूमिका को अब पहले से अधिक मजबूती मिली है।

विशाखापत्तनम में हुआ भव्य कमीशनिंग समारोह

INS निस्तार को विशाखापत्तनम के नौसेना अड्डे पर आयोजित एक भव्य समारोह में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। समारोह में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने इसे ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर करार दिया।

यह पोत हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाए जा रहे दो डाइविंग सपोर्ट वेसल्स में से पहला है। इसका निर्माण पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से किया गया है।

नौसेना की क्षमताओं में होगा बड़ा इजाफा

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने INS निस्तार को केवल एक तकनीकी संसाधन नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण परिचालन सहयोगी बताया। उन्होंने कहा कि यह जहाज भारतीय नौसेना के साथ-साथ क्षेत्रीय समुद्री साझेदारों को भी पनडुब्बी बचाव सहयोग प्रदान करेगा। इससे भारत को ‘पसंदीदा सबमरीन रेस्क्यू पार्टनर’ के रूप में पहचान मिलेगी।

INS निस्तार की विशेषताएं

  • लंबाई: 118 मीटर
  • वजन: 10,000 टन से अधिक
  • अधिकतम डाइविंग गहराई: 300 मीटर
    यह जहाज अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और गहरे समुद्र में बचाव, तलाशी एवं डाइविंग अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सक्षम है।

इतिहास की पुनरावृत्ति: INS निस्तार का गौरवशाली अतीत

नौसेना प्रमुख ने इस मौके पर INS निस्तार के गौरवशाली इतिहास की भी याद दिलाई। वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान INS निस्तार ने विशाखापत्तनम हार्बर के बाहर पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी की पहचान कर उसे निष्क्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा, “नौसेना में एक परंपरा है कि पुराने जहाज कभी नहीं मरते, वे एक नए उद्देश्य और आत्मबल के साथ लौटते हैं। INS निस्तार उसी परंपरा का पुनर्जन्म है।”

स्वदेशी युद्धपोत निर्माण में भारत का आत्मविश्वास

रक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि भारतीय नौसेना के लिए निर्माणाधीन सभी 57 युद्धपोत अब स्वदेशी रूप से बनाए जा रहे हैं। यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी प्रकार की दुस्साहसी गतिविधियों का सामना करने में पूरी तरह सक्षम है।INS निस्तार की तैनाती भारत की समुद्री सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में एक अहम कदम है। यह न केवल भारत की तकनीकी श्रेष्ठता का प्रतीक है, बल्कि भारतीय नौसेना की बचाव और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता को भी नई धार प्रदान करेगा।

 

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