जमशेदपुर : उत्पाद सिपाही भर्ती दौड़ के दौरान हुई 12 प्रतिभागियों की मौत और सैकड़ों के बीमार पड़ने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने झारखंड सरकार को सख्त चेतावनी दी है। आयोग ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि यदि 7 सितंबर 2025 तक Action Taken Report (एटीआर) नहीं भेजी गई, तो मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13 के तहत दंडात्मक कार्यवाही शुरू की जाएगी।
जमशेदपुर के मानवाधिकार कार्यकर्ता की शिकायत पर हुई कार्रवाई

इस पूरे मामले की नींव जमशेदपुर निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता दीपक कुमार की शिकायत से पड़ी, जिन्होंने वर्ष 2024 में आयोजित उत्पाद सिपाही भर्ती की शारीरिक परीक्षा के दौरान हुई 12 मौतों और 400 से अधिक युवाओं के बीमार पड़ने की गंभीर घटना को NHRC के समक्ष प्रस्तुत किया था।
आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, गृह विभाग के विशेष सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) और कारागार महानिदेशक को कार्यवाही रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। हालांकि आयोग के पूर्व आदेश की समयसीमा समाप्त होने के बाद भी कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गई, जिससे आयोग ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है।
अब तक क्यों नहीं भेजी गई रिपोर्ट?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा 4 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी गई थी, परंतु झारखंड सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इस पर NHRC ने पुनः निर्देश जारी करते हुए 7 सितंबर अंतिम तिथि निर्धारित की है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि इस बार भी रिपोर्ट नहीं आई, तो विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
क्या था पूरा मामला?
- अगस्त-सितंबर 2024 में झारखंड के 7 चयनित केंद्रों पर उत्पाद सिपाही भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित की गई थी।
- 1.27 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने दौड़ परीक्षा में भाग लिया।
- परीक्षा के दौरान अत्यधिक गर्मी, अव्यवस्था और पर्याप्त चिकित्सा सुविधा के अभाव में 12 प्रतिभागियों की मौत हो गई, जबकि 400 से अधिक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
- यह मामला सार्वजनिक होते ही प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया और कई सामाजिक संगठनों ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
NHRC की मांगें क्या थीं?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने झारखंड सरकार से निम्नलिखित बिंदुओं पर स्पष्टीकरण और रिपोर्ट मांगी थी:
- मृतकों को मुआवजा देने की स्थिति
- दोषियों पर हुई कार्रवाई
- भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो, इसके लिए उठाए गए कदम
- भर्ती प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक विफलता पर जवाबदेही
अब आगे क्या?
झारखंड सरकार यदि 7 सितंबर तक संतोषजनक रिपोर्ट आयोग को नहीं भेजती है, तो NHRC कानून के तहत दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है, जिसमें अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।






