दुमका : संथाल हूल के ऐतिहासिक स्थल, संताल काटा पोखर, की मरम्मत और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ 22 दिसंबर को संथाल परगना स्थापना दिवस पर राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग उठाई गई है। सामाजिक संगठन संताल हूल अखड़ा ने इस संबंध में रानेश्वर के प्रखंड विकास पदाधिकारी को एक लिखित आवेदन दिया है।
यह ऐतिहासिक स्थल दुमका जिले के रानेश्वर प्रखंड के दिगुली गांव में स्थित है, जो 1855 के संताल हूल का एक महत्वपूर्ण गवाह है। बताया जाता है कि 1855 ईस्वी में अंग्रेजों ने इसी तालाब में संथाल क्रांतिकारियों का नरसंहार कर उनके क्षत-विक्षत शरीरों को डुबो दिया था, जिसके कारण यह संताल काटा पोखर के नाम से जाना जाने लगा।
अखड़ा ने इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण और शहीदों को सम्मान देने के लिए कई महत्वपूर्ण माँगें रखी हैं:
- शहीद स्तंभ: गुमनाम शहीदों के नाम पर एक शहीद स्तंभ का निर्माण हो।
- प्रतिमाएँ: स्वतंत्रता सेनानी सिद्धू, कानू, चांद, भैरव, फूलों और झानो मुर्मू की प्रतिमाएँ संताल आदिवासी विधि-विधान के अनुसार स्थापित की जाएँ।
- सरकारी कार्यक्रम: भोगनाडीह की तर्ज पर 22 दिसंबर को यहां भव्य सरकारी कार्यक्रम आयोजित किया जाए।
- जीर्णोद्धार: तालाब की अधूरी चारदीवारी और घाट का निर्माण संथाली रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाए।
- मरम्मत: आंधी-तूफान से क्षतिग्रस्त सूचना बोर्ड और रेलिंग की तत्काल मरम्मत की जाए।
इस मौके पर अखड़ा के अध्यक्ष सुनील मुर्मू, सचिव सिमल हांसदा सहित कई अन्य सदस्य उपस्थित थे। यह पहल न केवल ऐतिहासिक धरोहर को सँजोने का प्रयास है, बल्कि उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि देने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।






