बिहार में चुनावी माहौल गर्म होता जा रहा है और भाजपा ने इसे अपने लिए अवसर में बदलने की कोशिश शुरू कर दी है। शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सारण में आयोजित रैली में चुनावी संदेश देते हुए सीधे ‘जंगलराज’ का मुद्दा उठाया और पूर्व राजद सरकार के दौरान की कानून-व्यवस्था की स्थिति को याद दिलाया। शाह ने अपने भाषण में बिहार की जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि अगर आरजेडी सत्ता में आती है, तो वही पुराना जंगलराज लौट सकता है।
इस रैली से पहले शाह ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बंद कमरे में मुलाकात की। इस मुलाकात के बावजूद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के भीतर असमंजस की स्थिति साफ नजर आई, क्योंकि भाजपा ने स्पष्ट नहीं किया कि अगर एनडीए सत्ता में लौटता है, तो अगली सरकार का नेतृत्व किसकी जिम्मेदारी होगी। जेडीयू के कुछ नेता इस रणनीति को महाराष्ट्र जैसी योजना की संभावनाओं के रूप में देख रहे हैं, जहां चुनाव के बाद भाजपा ने शिवसेना के नेता के नेतृत्व के बावजूद मुख्यमंत्री पद अपने हाथ में ले लिया था।
जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने हालांकि यह जताने की कोशिश की कि सब कुछ ठीक है और गठबंधन एकजुट है। उन्होंने कहा, “विपक्ष भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है। अमित शाह जी का संदेश साफ था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के चेहरे हैं और गठबंधन उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है।”
एनडीए के सहयोगी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जितन राम मंझी ने शाह के बयान पर चिंता जताते हुए कहा कि एनडीए को अपने मुख्यमंत्री चेहरे की औपचारिक घोषणा करनी चाहिए थी। उनका मानना है कि इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।
रैली में शाह ने नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने बिहार को जंगलराज से मुक्त कराया और एनडीए उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है। लेकिन उन्होंने सीधे यह नहीं कहा कि अगर गठबंधन सत्ता में आता है, तो अगली सरकार का नेतृत्व कौन करेगा। इसके बजाय उन्होंने यह चेतावनी दी कि अगर आरजेडी सत्ता में आती है, तो जंगलराज लौट सकता है। शाह ने जोर देकर कहा कि “एनडीए और नीतीश कुमार ने अतीत में लालू के जंगलराज से लड़ाई लड़ी और आज भी उसी मानसिकता के खिलाफ संघर्ष जारी है।”
शाह ने राघुनाथपुर सीट से आरजेडी के उम्मीदवार ओसामा शाहाब, जो कि मारे गए डॉन से राजनीति में आए मोहम्मद शाहबुद्दीन के पुत्र हैं, का भी उल्लेख किया और बिहार की सुरक्षा पर सवाल उठाए। उन्होंने रैली में कहा, “अगर बिहार को सुरक्षित रखना है, तो नीतीश कुमार-नरेन्द्र मोदी की जोड़ी को सत्ता में लौटना होगा।”
रैली के बाद शाह ने पटना में एक “बौद्धिकों की बैठक” को संबोधित करते हुए चुनाव आयोग के मतदाता सूची सुधार के प्रयासों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “भाजपा की स्पष्ट नीति है कि भारत धर्मशाला नहीं है। यहाँ किसी भी घुसपैठिए को रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
इस बार की चुनावी रणनीति में भाजपा ने साफ संदेश दे दिया है कि जंगलराज का डर और कानून-व्यवस्था का मुद्दा उसके चुनावी अभियान का प्रमुख आधार होगा। वहीं, जेडीयू और एनडीए सहयोगी इसे संतुलित बनाकर एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में सत्ता और चेहरे के मुद्दे राजनीतिक चर्चाओं में और गर्मी लाने वाले हैं।





