बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोकामा की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। जनसुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में जदयू प्रत्याशी और बाहुबली छवि वाले नेता अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह विकास उस समय हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो और एनडीए का चुनावी प्रचार अभियान अपने चरम पर चल रहा है। ऐसे में विपक्ष को एक नया मुद्दा मिल गया है, जबकि एनडीए अपने नैतिक और राजनीतिक बचाव में जुटा है।
मोकामा सीट लंबे समय से चर्चाओं में रही है और यहां का जातीय संतुलन चुनावी जीत-हार में अहम भूमिका निभाता है। दुलारचंद की हत्या को लेकर यादव समुदाय में पहले से ही नाराज़गी है। अब गिरफ्तारी के बाद यह असंतोष एनडीए के खिलाफ वोट में बदल सकता है। वहीं दूसरी ओर, भूमिहार मतदाताओं के बीच अनंत सिंह के प्रति सहानुभूति का भाव उभरने की संभावना जताई जा रही है, जिसका लाभ उन्हें और एनडीए को भी मिल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम महागठबंधन, विशेषकर राजद के लिए अवसर पैदा कर सकता है। यादव और अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश अब और तेज होगी। हालांकि राजद के वे प्रत्याशी, जो भूमिहार बहुल इलाकों में मैदान में हैं, उनके लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बन सकती है। जातीय समीकरण किसके पक्ष में झुकेंगे, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
इस बीच, चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है। आयोग ने पटना के ग्रामीण एसपी विक्रम सिहाग सहित बाढ़ अनुमंडल के एसडीओ चंदन कुमार और दो एसडीपीओ राकेश कुमार व अभिषेक सिंह को हटाने के आदेश दिए हैं। अभिषेक सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया गया है। आयोग ने रविवार दोपहर तक नए पदाधिकारियों की तैनाती की रिपोर्ट मांगी है।
कुल मिलाकर, मोकामा में अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने चुनावी माहौल में नया उबाल ला दिया है। यह मामला केवल एक सीट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके प्रभाव से पूरे बिहार चुनाव की राजनीति करवट ले सकती है। अब सबकी नजरें इसी पर टिकी हैं कि इस घटनाक्रम के बाद एनडीए और महागठबंधन में से किसकी रणनीति ज्यादा मजबूत साबित होगी।





