जमशेदपुर: हमारे समाज में एक ऐसी भी परंपरा है, जहां गुड्डा गुड्डी की शादी धूम-धाम से रचाई जाती है। आप बचपन में इससे खेलते थे, लेकिन छत्तीसगढ़ी समाज में इसे एक परंपरा के रूप में मनाया जाता है। इस आधुनिक युग में भी समाज के लोग अपनी इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसी के तहत जमशेदपुर के भालूबासा में पिछले 3 वर्षो से बड़े धूमधाम से गुड्डा-गुड्डी की शादी का जश्न मनाया जा रहा है। इसमे समाज के सैकड़ों महिला पुरुष और बच्चे शामिल होते हैं।
गुड्डा-गुड्डी की शादी वास्तविक शादी की तरह पूरे विधि विधान के साथ किया जाता। 2 दिन के इस कार्यक्रम में मटकोर, हल्दी लेपन, बारात का स्वागत, मंडप में मंत्रोचारण के बीच शादी की रस्में और फिर विदाई गीत के बीच सभी के रोते हुए बेटी को विदाई देने की परंपरा निभाई जाती है। वहीं इन दो दिनों के कार्यक्रम में सभी के लिए भोज की भी व्यवस्था की जाती है। एकबारगी देखने पर आपको ऐसा प्रतीत होगा कि कोई असली शादी हो रही है।
इस परंपरा को लेकर बताया जाता है छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया और नए फसल को लेकर यह रस्म निभाई जाती है, ताकि नया फसल अच्छा हो और परिवार, समाज और नव जोड़ो में सुख शांति निरंतर बनी रहे।