कामचटका (रूस) : रूस के कामचटका प्रायद्वीप में मंगलवार देर रात 8.8 तीव्रता का महाशक्तिशाली भूकंप आया। इस भयावह झटके के बाद सोशल मीडिया पर जो वीडियो सामने आए, वो रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं—कहीं कारें झूले की तरह झूलती नजर आईं, तो कहीं लोग जान बचाने के लिए भागते दिखे। समुद्री लहरों के उफान और सुनामी की चेतावनी ने दहशत को और बढ़ा दिया है।

ट्रंप ने जताई चिंता, अमेरिका-जापान समेत कई देश सतर्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर अलर्ट जारी करते हुए लिखा
“अलास्का और अमेरिका के प्रशांत तट के लिए सुनामी की निगरानी जारी है, जापान भी संभावित खतरे में है।”
ट्रंप की यह व्यक्तिगत चेतावनी दर्शाती है कि अमेरिका के उच्च स्तर पर भी इस प्राकृतिक आपदा को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।
जापान और रूस के तटों से टकराईं सुनामी की लहरें
भूकंप के बाद रूस के कुरील द्वीप और जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय इलाकों से सुनामी की लहरें टकराईं। जापान में पहले ही 30 सेंटीमीटर ऊंची लहरें देखी जा चुकी हैं और 20 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है।
हवाई-चिली तक खतरे की आहट, अलर्ट पर प्रशांत देश
प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र के अनुसार, हवाई, चिली, जापान, इक्वाडोर और सोलोमन द्वीपों समेत कई तटीय क्षेत्रों में 1 से 3 मीटर ऊंची लहरों की आशंका है। रूस और इक्वाडोर में 3 मीटर से ज्यादा ऊंची लहरें उठने का खतरा जताया गया है। चेतावनी दी गई है कि जान-माल की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाएं।
इन देशों पर मंडरा रहा खतरा
रूस, जापान, अमेरिका, कनाडा, इक्वाडोर, पेरू, मैक्सिको, चीन, ताइवान, फिलीपींस, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया जैसे कई देशों में सुनामी का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। कई कोस्टल क्षेत्रों में लोगों को खाली कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
अमेरिका पर खतरे के बादल
अमेरिका के 9 से अधिक राज्यों पर सुनामी का असर पड़ सकता है। हवाई (15 लाख आबादी) और अलास्का (7.5 लाख आबादी) से लेकर कैलिफोर्निया (3.90 करोड़ की जनसंख्या) तक अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा टेक्सास, एरिजोना, न्यू मैक्सिको, वाशिंगटन और लुसियाना में भी खतरे की आशंका जताई गई है।
लोगों को 2011 जापान की तबाही की याद
दुनिया भर के लोग इस भूकंप और संभावित सुनामी को देखकर 2011 की जापान त्रासदी को याद कर रहे हैं। यह भूकंप अब तक का दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूकंप बताया जा रहा है। इसकी तीव्रता और असर देखकर यह स्पष्ट है कि एक बार फिर मानवता को प्रकृति के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।






