Jamshedpur : राष्ट्रीय राजमार्ग 18 पर कहर बनकर दौड़ा कंटेनर: 10 से अधिक गायों की दर्दनाक मौत

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बहरागोड़ा : राष्ट्रीय राजमार्ग 18 पर बीती रात एक भीषण हादसे में करीब 10 से 11 गायों की मौके पर ही मौत हो गई, जब जमशेदपुर से कोलकाता की ओर जा रहा कंटेनर (NL 01L 0259) उन्हें रौंदते हुए निकल गया। यह हादसा रात 9 से 10 बजे के बीच बहरागोड़ा के पास हुआ, जिसने एक बार फिर राष्ट्रीय राजमार्गों की बदहाल व्यवस्था और NHAI की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अंधेरे में मौत बनकर दौड़ती गाड़ियां, स्ट्रीट लाइटें महीनों से बंद

स्थानीय लोगों के अनुसार, NH-18 पर लंबे समय से स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। जनप्रतिनिधियों द्वारा बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो लाइटें ठीक की गईं और न ही कोई सुरक्षात्मक उपाय किए गए। अंधेरे में तेज़ रफ्तार से दौड़ते वाहन जानवरों और लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं।

गौवंश की चीत्कार और NHAI की चुप्पी

इस भीषण हादसे में गायों की दर्दनाक मौत ने बेजुबानों के अधिकारों पर भी सवाल खड़े किए हैं। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस को भीषण दृश्य देखने को मिला — सड़क पर बिखरे शव, खून और सन्नाटा।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि राजमार्गों पर आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

पशु मालिकों की लापरवाही या सिस्टम की खामियां?

सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में गायें हाईवे पर कैसे पहुंचीं?
अगर कोई व्यक्ति पशु पालता है, तो उसकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उसी की बनती है। जानवरों को यूं खुले में छोड़ देना न सिर्फ उनके लिए खतरनाक है, बल्कि सड़क पर चलने वाले आम लोगों और वाहनों के लिए भी।
स्थानीय लोगों ने ऐसे पशु मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जो जानवरों को सड़कों पर छोड़ते हैं और फिर हादसों की जिम्मेदारी से बच निकलते हैं।

क्या NHAI केवल टोल वसूली तक सीमित है?

लोगों का गुस्सा अब NHAI की कार्यशैली पर भी फूट पड़ा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि,

“टोल टैक्स के नाम पर भारी वसूली होती है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं जैसे स्ट्रीट लाइट, संकेतक या जानवरों से सुरक्षा के उपाय शून्य हैं।”

मांगें: कार्रवाई हो, व्यवस्था सुधरे

  • NHAI स्ट्रीट लाइटों को तत्काल ठीक कराए
  • आवारा पशुओं के मालिकों की पहचान कर उन पर कार्रवाई हो
  • राजमार्गों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं

स्थानीय प्रशासन और पशुपालन विभाग इस दिशा में ठोस कदम उठाएं

“बेजुबानों की जान की कीमत भी जान होनी चाहिए।”

इस दुर्घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बिना प्रबंधन के विकास केवल खतरे लेकर आता है। सरकार और प्राधिकरणों को अब जिम्मेदारी लेनी होगी, वरना इसी तरह बेजुबान पशु और आम लोग हादसों के शिकार होते रहेंगे।

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