रामगढ़ : पिता शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म और बाबा दिशोम गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने नेमरा पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन दिनों अपनी सादगी और जनसेवा के अंदाज से सुर्खियों में हैं। साधारण धोती जैसे वस्त्र पहनकर, गांवों और खेतों की पगडंडियों पर चलते हुए वे सीधे जनता के बीच पहुंचे, उनकी समस्याएं सुनीं और समाधान का भरोसा दिया। इस सहज और सादगीपूर्ण व्यवहार ने ग्रामीणों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद दिला दी।
ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह महात्मा गांधी साधारण रहन-सहन और एक लाठी के सहारे अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते थे, उसी तरह हेमंत सोरेन भी बिना किसी औपचारिक तामझाम के लोगों के बीच जाकर उनसे सीधे संवाद कर रहे हैं। उनकी यह शैली उन्हें अन्य नेताओं से अलग पहचान देती है।
बचपन से ही हेमंत सोरेन का प्रकृति, पेड़-पौधों, पहाड़ों और नदियों से गहरा लगाव रहा है। गांधीजी की तरह वे भी मानते हैं कि “गांव ही देश की आत्मा हैं” और गांवों का विकास ही राज्य और देश की प्रगति की असली नींव है। यही कारण है कि उनकी सोच और कार्यशैली में गांधीवादी विचारों की स्पष्ट झलक दिखाई देती है।
नेमरा में यह दौरा केवल एक पारिवारिक कार्यक्रम तक सीमित नहीं रहा। यहां उन्होंने अपने लोगों से मुलाकात करने के साथ-साथ कई सरकारी कार्य भी निपटाए, जो उनके जनसेवा के संकल्प को और मजबूत करता है।






