झारखंड के नेताओं ने सामाजिक समरसता और जनजातीय अस्मिता सशक्त बनाने के लिए साझा अपील जारी की

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झारखंड की सामाजिक समरसता, आपसी भाईचारा और स्थानीय अस्मिता के सशक्तीकरण की दिशा में राज्य के प्रख्यात नेताओं एवं आंदोलनकारी व्यक्तित्वों ने एक संयुक्त सार्वजनिक अपील जारी की है। इस अपील में पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो, पूर्व सांसद कृष्णा मारडी एवं पूर्व विधायक तथा झारखंड आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता सूर्य सिंह बेसरा सम्मिलित हैं।

सूर्य सिंह बेसरा ने स्पष्ट किया कि झारखंड के अस्तित्व की पृष्ठभूमि में जो संघर्ष और आंदोलन सम्पन्न हुआ, उसका प्रधान उद्देश्य केवल राजनीतिक सत्ता प्राप्ति नहीं था, अपितु झारखंडी समाज की ऐक्यबद्धता, सामाजिक सौहार्द और आपसी भाईचारे को संरक्षित करना था। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में राज्य और समाज अनेक जटिल समस्याओं जैसे जातीय भेदभाव, सामाजिक विघटन, राजनीतिक टकराव और आर्थिक विषमता से जूझ रहे हैं, जो झारखंड की मूल आत्मा और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर कर रहे हैं।

इस संदर्भ में उन्होंने समस्त झारखंडवासियों से आग्रह किया है कि वे बृहद और प्रगतिशील झारखंड की संकल्पना के लिए एकजुट हों। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन की सबसे प्रमुख शक्ति हमारी ऐक्यबद्धता और भाईचारा था और वर्तमान में भी उसी सामूहिक शक्ति को पुनर्जीवित करना अत्यंत आवश्यक है।

समाज को सम्बोधित करते हुए उन्होंने यह भी जोड़ा कि झारखंड की बहुलता ही इसकी विशिष्टता और पहचान है। विभिन्न समुदाय, जनजाति और सामाजिक वर्गों के समन्वय से ही राज्य वास्तविक रूप से सशक्त हो सकता है। उनका संदेश था कि हमारा आदर्श एक न्यायपूर्ण, समरस और समृद्ध झारखंड का निर्माण करना है। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को नफरत और विभाजनकारी राजनीति से ऊपर उठकर आपसी सौहार्द और भाईचारा कायम रखना होगा।

उन्होंने निष्कर्ष स्वरूप यह स्पष्ट किया कि सामाजिक समरसता और आपसी सहयोग के बिना झारखंड का आदर्श अधूरा रहेगा। अतः प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह सामाजिक ऐक्यबद्धता एवं सामूहिक सौहार्द के संवर्धन में योगदान दें, ताकि राज्य का सांस्कृतिक और सामाजिक ढांचा सुदृढ़ बना रहे।

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