प्रकाश
झारखंड के प्रथम ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो का हृदय गति रुक जाने से देर रात 11 बजे रांची में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद रांची से सीधे उनका शव विधानसभा क्षेत्र डुमरी ले जाया गया। हजारों लोग उनकी शवयात्रा में शामिल हुए। उसके बाद उनका शव पैतृक गांव बेरमो स्थित वेद करो लाया गया और दामोदर नदी के तट पर अंतिम संस्कार हुआ। अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए और गगन भेदी नारों के बीच राजकीय सम्मान के साथ गॉड ऑफ ऑनर दिया गया।
उनकी शव यात्रा में स्थानीय गिरिडीह लोकसभा सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, राज्यसभा सांसद खीरू महतो, पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो, पूर्व मंत्री मथुरा महतो, गोमिया विधायक लंबोदर महतो, पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल, पूर्व मंत्री मथुरा महतो सहित क्षेत्र के तमाम नामी गिरामी सहित क्षेत्र के आम लोग शामिल हुए। सभी लोगों के जुबान से एक ही शब्द निकलता रहा आज झारखंड ने एक बहुत बढ़िया नेता को खो दिया, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। इस दौरान उनके भाई इंद्रदेव महतो, बन्नो महतो, चेतलाल महतो सहित पूरे परिवार के लोग शामिल हुए।
लालचंद महतो ने अपनी राजनीति की शुरुआत जेपी आंदोलन से की थी। 1974 के आंदोलन में इमरजेंसी के दौरान मीशा के तहत गिरफ्तार हुए और हजारीबाग सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहां 28 महीना जेल काटने के बाद रिहाई हुई। 1977 में पहली बार डूमरी विधानसभा से जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा और बिहार विधानसभा के सदस्य बने। उसके बाद लगातार चुनाव लड़ते रहे फिर 1989 में डूंगरी से विधायक बने। क्षेत्र की जनता की सेवा में लगातार लगे रहे। उसके बाद 2000 के विधानसभा चुनाव में विजयी हुए और झारखंड अलग होने के बाद बाबूलाल मरांडी के कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री बनाए गए। अपनी लंबी राजनीतिक पारी में उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। स्वच्छ छवि के राजनेता रूप में अपनी पहचान बनाई। हमेशा गरीब लाचार लोगों की आवाज बन कर लड़ाइयां लड़ी। उन्होंने अपनी यूनियन बनाई और कोयला मजदूरों के लिए लंबी लड़ाइयां लड़ीं। केंद्रीय नेता जॉर्ज फर्नांडीज से उनकी काफी नजदीकियां रहीं। हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल, रामविलास पासवान, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार सहित देश के तमाम दिग्गज नेताओं से उनका काफी लगाव रहा। उनके निधन के साथ ही आज उनकी लंबी राजनीतिक पारी का अंत हो गया।