K. Durga Rao
बुधवार को सरायकेला जिला मुख्यालय पर दिनभर गहमा- गहमी रही। जो बताता है कि राज्य में विधानसभा चुनाव करीब है और न तो सत्ता पक्ष विपक्ष को वाहवाही लूटने देना चाहती है न विपक्ष सत्ता पक्ष को कल्याणकारी योजना का श्रेय लेने देना चाह रही है। दरअसल इन दिनों राज्य में झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को लेकर सियासत जोरों पर है। ये अलग बात है कि शुरुआती दौर में योजना को अमली जामा पहनाने में थोड़ी परेशानी हो रही है, जिसे विपक्ष मुद्दा बनाकर हवा देने में जुटा है। हालांकि सरकार ने इसकी मियाद बढ़ाने की घोषणा कर दी है। साथ ही ऑफलाइन मोड में आवेदन लेने की अनुमति दे दी है। मगर बीजेपी सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
चाहे संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला हो या झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना। यही वजह है कि बुधवार को सरायकेला जिला मुख्यालय के समक्ष भाजपा महिला मोर्चा के सदस्यों ने धरना प्रदर्शन के माध्यम से सरकार पर ताबड़तोड़ हमले किए। उधर भाजपाइयों के भोपू के शोर को देखते हुए जिला प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने से मना किया। फिर क्या था जिला मुख्यालय रणभूमि में तब्दील हो गया। भाजपाइयों ने इसे सरकार के इशारे पर परेशान करने का साजिश करार दिया। जिला अध्यक्ष उदय सिंहदेव ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दी और कहा अनुमति के बाद भी महिलाओं के प्रदर्शन के लिए रोकना कहीं ना कहीं सरकार की नाकामियों को दर्शा रहा है, जिसे वह कुचलना चाहती है।
मगर हम भाजपाई आंदोलन की उपज हैं डरने वालों में से नहीं। वैसे जिला प्रशासन की सख्ती के बाद भाजपाइयों ने प्रदर्शन रोक दिया। इधर बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करते हुए सरायकेला खरसावां जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने विपक्ष पर सरकार को साजिश के तहत बदनाम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार जो भी योजनाएं ला रही है उसे लाभुकों तक पहुंचाया जा रहा है। विपक्ष इसे पचा नहीं पा रहा है। यही वजह है कि सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इधर सरायकेला विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि और झारखंड मुक्ति मोर्चा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष सनद कुमार आचार्य ने बुधवार को भाजपा महिला मोर्चा द्वारा जिला मुख्यालय पर किए जा रहे धरना प्रदर्शन को फ्लॉप करार दिया।
उन्होंने कहा कि धरना- प्रदर्शन में महिलाओं को प्रलोभन देकर लाया गया है, जिसकी पोल खुलने के बाद भाजपाई हंगामा करने लगे। उन्होंने भी विपक्ष को जमकर खरी- खोटी सुनाई और कहा कि सरायकेला में भाजपाइयों की दाल नहीं गलने वाली है। यह झारखंड मुक्ति मोर्चा का अभेद्य किला है। उन्होंने भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं की स्थिति पर बेबाकी से अपनी बात रखी। कुल मिलाकर कहें तो विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच खींचतान कहीं ना कहीं झारखंड के सियासत में हलचल पैदा कर रहा है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इसका फायदा किसे मिलता है।