नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना अपने सबसे पुराने और गौरवशाली लड़ाकू विमान मिग-21 को 19 सितंबर 2025 को आधिकारिक रूप से रिटायर करने जा रही है। 1963 से सेवा में शामिल यह सुपरसोनिक जेट, अब तेजस मार्क-1ए जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमानों के लिए जगह खाली करेगा।
मिग-21: एक विरासत का अंत
मिग-21 को कभी भारत का सबसे भरोसेमंद लड़ाकू विमान माना जाता था। इसने 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में अहम भूमिका निभाई थी। बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी इसकी भागीदारी रही। लेकिन बीते वर्षों में लगातार हादसों का शिकार होने के कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ भी कहा जाने लगा।
- पहला मिग-21: 1963 में शामिल
- आखिरी मिशन: 2025 का ऑपरेशन “सिंदूर”
- अंतिम स्क्वाड्रन: चंडीगढ़ एयरबेस की 23 स्क्वाड्रन ‘पैंथर्स’
अब तेजस लेगा मोर्चा संभालने
- अब वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (LCA) तेजस मार्क-1ए को तेजी से शामिल किया जा रहा है।
- भारत को अमेरिकी GE-404 इंजन की दूसरी खेप मिल चुकी है
- HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) इस स्वदेशी विमान का निर्माण कर रही है
- इस वर्ष के अंत तक HAL को कुल 12 GE-404 इंजन मिल जाएंगे
- वायुसेना ने 83 तेजस मार्क-1ए का ऑर्डर दिया है
क्या बदल जाएगा?
- मिग-21 की विदाई के बाद वायुसेना की स्क्वाड्रन घटकर 29 रह जाएंगी — 1965 युद्ध से भी कम
- तेजस के शामिल होने से न सिर्फ स्क्वाड्रन की भरपाई होगी, बल्कि देश की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को भी बल मिलेगा
- तेजस आधुनिक तकनीक, बेहतर एवियोनिक्स और स्वदेशी निर्माण का प्रतीक है
एक युग का अंत, नए युग की शुरुआत
मिग-21 का रिटायरमेंट केवल एक विमान का अंत नहीं, बल्कि एक युग का समापन और आत्मनिर्भर भारत के नए अध्याय की शुरुआत है। अब भारतीय आसमान में गर्जन करेगा ‘तेजस’ — भारत की नई उड़ान का प्रतीक।






