Mohit Kumar
दुमका : ज़िले के रानीश्वर में संथाल विद्रोह के समापन के मार्मिक इतिहास को लेकर गोटा भारत सिद्धों कान्हू हूल बैसी, भारत सेवाश्रम संघ के शाखा द्वारा पाथरा के स्वामी प्रणवानंद विद्या मंदिर के सचिव स्वामी नित्यव्रता नंद एवं बांग्ला भाषा व संस्कृति रक्षा समिति के संयुक्त सहयोग से जन जागरूकता पद यात्रा हुई। रविवार भारत सेवाश्रम संघ दुमका शाखा के पाथरा के आश्रम के छात्र, शिक्षक, अभिभावकों ने पद यात्रा निकाल कर दिगुली के संथाल काटा पोखर पंहुच कर संथाल विद्रोह के शहीद नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में आश्रम के स्वामी नित्यब्रता नंद महाराज हूल बैसी के कोषाध्यक्ष सनातन मुर्मू, गमानियल हांसदा एक्टिंग प्रेसिडेंट परमेश्वर कुमार हेंब्रम, सुलेमान मरांडी, मीडिया प्रभारी आश्रम के स्वामी नित्यव्रता नंद, भाषा समिति के प्रदेश सचिव गौतम चटर्जी मौजूद थे।
बैठक में संथाल काटा पोखर के इतिहास को लेकर इतिहासकार गौतम ने विस्तार से प्रकाश डाला। बताया कि 1855 के संथाल विद्रोह के 150 साल के बाद भी वह इतिहास दबा हुआ था। वर्ष 2000 में झारखंड बंग भाषी जागरण पत्रिका में सर्वप्रथम उस पोखर के इतिहास को प्रकाशित किया गया है। दो दशक से उस इतिहास को बांग्ला एवं हिंदी पत्र पत्रिका में प्रकाशित किया गया। दुमका के पूर्व उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने उस इतिहास को संज्ञान में लेकर पोखर को धरोहर के रूप में चिन्हित किया है। कार्यक्रम में फादर सोलेमान, सच्चिदानंद सोरेन, इनोसेंट सोरेन, सुलेमान मरांडी, शिबधन सोरेन, डॉ असीम लायेक, दिगुली के ग्राम सभा के अध्यक्ष श्याम राय, स्नेह लता सोरेन, सिधो कान्हू बिरसा विश्व विद्यालय के लाइब्रेरियन बेल टुडू ने कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर भाग लिया। मौके पर सांसद नलिन सोरेन अपने समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ संथाल काटा पोखर पंहुच कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।