सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जुन देव जी की शहादत की याद में बारीडीह गुरुद्वारा कमेटी की ओर से बारीडीह चौक में चना और शरबत का वितरण किया गया। अर्जुन देव जी ने अपने जीवन काल में लोगों को हिंसा पर अहिंसा की जीत का संदेश दिय़ा था। कहा जाता है कि मुगल शासन काल में मुगलों के द्वारा उन्हें सिख धर्म छोड़ मुगल धर्म अपनाने के लिए कई तरह की प्रताड़ना दी गई थी।
इस दौरान गर्म सलाखें और गर्म रेत उनके शरीर पर डाला गया था, लेकिन वे उनके सामने झुके नहीं और निरंतर उनकी प्रताड़ना को सहते रहे। शहीद होने तक हिंसा को अपनाया और अंत में 16 जून 1606 में अपने प्राण त्याग दिए। उनकी इसी कुर्बानी की याद में पूरे मई महीने और जून माह में सिख समुदाय के द्वारा चना, गुड़, शरबत का वितरण संगत समूह के बीच कर उन्हें याद किया जाता है।