जमशेदपुरः लगातार झारखंड में उठ रहे 1932 खतियान (1932 नियोजन निति) की मांग के बीच, 1932 विरोधी मंच ने इसका खुल कर विरोध किया है। मंच ने 15 नवंबर 2000 को स्थानीयता का आधार बनाने की मांग की है। 1932 विरोध मंच का कहना है कि 1932 को कैसे कोई झारखंड की स्थानीयता के लिए आधार बना सकता है, जबकि झारखंड बिहार से 15 नवंबर 2000 को अलग हुआ था। कहा कि जब झारखंड की स्थापना ही 2000 में हुई है, तो फिर स्थानीयता के लिए 1932 का आधार क्यों? मंच का कहना है कि यह एक सोची-समझी राजनीति है, जिसके जरिए झारखंड के युवाओं को उलझाने का प्रयास किया जा रहा है।
संयोजक सागर तिवारी ने कहा कि 1932 का समर्थन सिर्फ एक सरनेम वाले लोग ही कर रहे हैं, दूसरा कोई नहीं। कहा कि पूरा झारखंड 1932 पर एक नहीं है। इसके विरोध में 1932 विरोधी मंच ने 11000 लोगों के हस्ताक्षर और पत्र के द्वारा राज्यपाल, मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री को जानकारी दी जाएगी और 15 नवंबर 2000 को स्थानीयता का आधार बनाने की मांग की जाएगी।
संवाददाता सम्मेलन में संयोजक सागर तिवारी, आशुतोष चौबे, प्रदीप सिंह, कमल, धर्मवीर महतो, अश्विनी सिंह, राजकुमार पाठक, विवेक सिंह, अविनाश, अमरेंद्र सिंह, अनूप सिंह, विशाल सिंह, निखिल, आनंद उपमन्यु, सूरज तिवारी आदि उपस्थित थे।