आदित्यपुर नगर निगम
मीटर के लिए पैसे जमा करा दिया है और एक साल पहले ही मीटर के कनेक्शन की अनुमति भी मिल चुकी है, लेकिन विभाग के पास मीटर न होने का हवाला देते हुए मीटर नहीं लगाया जा रहा है। जब तक मीटर नहीं लग रहा तब तक मौखिक रूप से बिजली का उपयोग करने को भी कह दिया गया, लेकिन बाद में चोरी का आरोप लगाते हुए कनेक्शन काट दिया गया।विद्युत विभाग, झारखंड
अगर ऐसा है तो विभाग के पास तार भी नहीं है तो वहां तार से कनेक्शन कैसे जोड़ा गया। जैसे तार जोड़कर कनेक्शन लिया गया, उसी तरह मीटर भी तो लगवाया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। चोरी की बिजली जलाने के कारण कनेक्शन काटकर एफआईआर दर्ज कराया गया है।
आदित्यपुर (सरायकेला-खरसांवा)
आदित्यपुर नगर निगम और बिजली विभाग के बीच कौन सा खेल चल रहा है, यह समझ से परे है। इस घटनाक्रम से विचित्र स्थिति उत्पन्न हो रही है और नगर निगम के साथ ही विद्युत विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग रहा है। मामले में आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है, लेकिन कौन सही बोल रहा है और गलत, यह तो वे ही जानें, लेकिन एक बात तो साफ है कि नगर निगम के आश्रय गृह में चोरी की बिजली जल रही थी और सूचना मिलने पर बिजली विभाग ने छापेमारी कर कनेक्शन काट दिया और मामले में एफआईआर दर्ज करवा दिया। हालांकि पूरे मामले में फंस गया एक युवक जो आश्रय गृह में साफ-सफाई का काम करता था।
इस बात को आप इस एक घटना से समझ सकते हैं। आदित्यपुर क्षेत्र में नगर निगम का एक आश्रय गृह है। यह आश्रय गृह पिछले कई वर्षों से संचालित हो रहा है। वर्तमान में एक ठेकेदार को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। विगत होली में ठेकेदार मनी मुकुट छुट्टी पर अपने घर गए थे। इस बीच बिजली विभाग ने वहां छापेमारी कर चोरी की बिजली जलाने का आरोप लगाते हुए कनेक्शन काट दिया। मामले में एक वहां साफ-सफाई करने वाले युवक राहुल को बली का बकरा बनाते हुए विभाग द्वारा चोरी की बिजली जलाने का मामला दर्ज करवा दिया।
अब यहां सवाल यह उठता है कि पूरे मामले में गलती किसकी है। एक तरफ है नगर निगम, जिसके जेई रितेश का कहना है कि बिजली मीटर के लिए शुल्क जमा कर दिया गया है और कनेक्शन भी आवंटित कर दिया गया है, लेकिन बिजली विभाग द्वारा यह कहकर मीटर नहीं लगाया गया कि अभी मीटर नहीं है। जेई के मुताबिक विभाग द्वारा यह भी कहा गया कि मीटर आएगा तो लगा दिया जाएगा, लेकिन एक साल होने के बावजूद मीटर नहीं लगा। इस बीच चोरी की बिजली जलाने का आरोप लगाकर आश्रय गृह का बिजली कनेक्शन काट दिया गया।
अब बताते हैं कि आखिर एक साल बाद विद्युत विभाग ने एक्शन क्यों लिया। आश्रय गृह के ठेकेदार की मानें तो यहां तीन-चार साल से दो लोग रहते थे। इनमें से एक खुद को पत्रकार और पंचायत समिति सदस्य बताता था। आरोप है कि वह वहां रहने वाले लोगों के साथ ही स्टाफ के साथ भी बदसलूकी करता था। विगत दिसंबर माह में वहां रहने वालों को कंबल और बेडशीट दिया गया। सभी लोग अपना सामान ठीक से रखते थे, लेकिन वे दोनों जहां-तहां रख देते थे औऱ दूसरों को उनका सामान ठीक करना पड़ता था। इतना ही नहीं कोरोना काल में वहां टीकाकरण कैंप लगाने की तैयारी थी, लेकिन दोनों ने लगने नहीं दिया। बाद में कमिश्नर के पास उनकी शिकायत गई तो दोनों को वहां से भगा दिया गया।
कहा तो यह भी जा रहा है कि वहां से भगाए जाने के बाद दोनों नाराज हो गए और शाम को एक बार वहां पहुंचे और वहां का वीडियो बनाकर सरायकेला एसपी और विद्युत विभाग के एसडीओ के पास भेज दिया। इसके बाद ही बिजली विभाग की छापेमारी और कनेक्शन काटने की कार्रवाई की गई। हालांकि, ठेकेदार का कहना है कि अगर कनेक्शन काटना ही था तो पहले सूचना देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और वहां साफ-सफाई करने वाले कर्मचारी राहुल के खिलाफ थाने में एफआईआर भी दर्ज करा दी गई।
इस मामले में नगर निगम के जेई रितेश का कहना है कि मीटर के लिए शुल्क पहले ही जमा किया जा चुका है औऱ कनेक्शन भी हो चुका है, लेकिन मीटर नहीं लगाया गया। इसका कारण यह है कि बिजली विभाग के पास मीटर नहीं था और उनके द्वारा कहा गया कि मीटर आने पर लगा दिया जाएगा, तब तक आपलोग बिजली जला सकते हैं। इस बीच आकर कनेक्शन काट दिया गया।
मामले में विद्युत प्रमंडल संख्या 1 एर 2 आदित्यपुर 1 के कनीय अभियंता शंकर सावैया ने बताया कि राजस्व का आकलन विभाग द्वारा किया जाता है और उस आधार पर बकाया राशि होने पर केस दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि मीटर निगम को खुद ही लाना था। उन्होंने कहा कि अगर विभाग के पास मीटर न होने की बात कही जा रही है तो विभाग के पास तो तार भी नहीं है। विभाग ने वहां तार से कनेक्शन भी नहीं दिया तो फिर वहां कनेक्शन कैसे किया गया। अगर कनेक्शन किया गया तो फिर मीटर लगाने में क्या परेशानी थी। वहां चोरी की बिजली जलाई जा रही थी और इस आधार पर छापेमारी कर कनेक्शन काटा गया और मामला दर्ज किया गया है।
अब आपको बताते हैं कि यह खेल केवल आश्रय गृह तक ही नहीं सिमटा है। आदित्यपुर नंगर निगम अंतर्गत वार्ड नंबर 8 में एक सामुदायिक भवन के साथ भी कुछ ऐसा ही है। आरोप है कि यहां भी एक साल पहले मीटर कनेक्शन के लिए शुल्क दिया जा चुका है, लेकिन बिजली विभाग द्वारा मीटर नहीं लगाया गया है।
अब पूरे मामले में गलती किसकी है यह तो जांच के बाद ही साबित होगा, लेकिन अहम सवाल यह है कि अगर बिना मीटर के बिजली का उपयोग हो रहा है तो उसे चोरी का ही माना जाएगा, लेकिन अगर पैसा जमा करने के बावजूद बिजली विभाग द्वारा मीटर नहीं लगाया गया है तो उसकी भी यह बड़ी गलती और लापरवाही है और ऐसे में चोरी की बिजली जलाने का आरोप लगाना समझ से परे है। हालांकि विद्युत विभाग के कनीय अभियंता का साफ कहना है कि मीटर नगर निगम को खुद ही लगाना था, लेकिन नहीं लगाया गया और आरोप बिजली विभाग पर लगाया जा रहा है।
अब आइए जानते हैं कि नगर निगम द्वारा चोरी की बिजली जलाने से विभाग को कितना नुकसान हुआ। नगर निगम के मुताबिक एक साल से बिजली जलायी जा रही है तो अगर कम से कम महीने का एक हजार भी बिजली बिल होता है तो यह रकम 12 हजार रुपए होती है। अगर 500 रुपए महीने हो तो 6 हजार रुपए होगी, लेकिन बिजली विभाग ने थाने में कराई गई शिकायत में कहा है कि चोरी की बिजली जलाने के कारण उसे 5,240 रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। अब यहां यह समझ से परे है कि अगर मीटर नहीं लगा है तो विभाग ने रकम का आकलन कैसे किया। हालांकि यहां कहा जा रहा है कि बिजली विभाग द्वारा संबंधित जगह पर विद्युत उपकरणों के उपयोग के आधार पर बिजली की खपत को देखते हुए राशि का आकलन किया जाता है।
वैसे एक बात गौरतलब है कि आश्रय गृह नगर विकास विभाग की योजना के तहत तैयार किया गया है और इसका संचालन यह पिछले करीब 7 वर्षों से किया जा रहा है। तो क्या इससे पहले यहां बिजली नहीं थी। अगर थी तो फिर यह रकम प्रति वर्ष 5 हजार रुपए के हिसाब से 35 हजार रुपए होती है। खैर मामला बिजली विभाग का है और रकम का आकलन करना भी उसका ही काम है। ऐसे में अब यह मामला किस करवट बैठेगा, इसका पता तो आने वाले दिनों में ही चलेगा।