जमशेदपुरः आयडा क्षेत्र में कंपनियों की जमीन को लेकर अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं। इस बार मामला अमलगम स्टील और आधुनिक स्टील से जुड़ा है। इस बार मामला वन विभाग की जमीन को लेकर सामने आया है। लगातार चर्चा में रहने वाली कांड्रा की बहुचर्चित स्टील कंपनी अमलगम स्टील ने वन भूमि विवाद में जानकारी देते हुए बताया है कि कंपनी के द्वारा कोई भी विस्तारीकरण नहीं किया गया है। दावा है कि मजदूरों के हित में कंपनी के बढ़ते प्रयासों को देखकर छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
2018 में आधुनिक से वापस लेने के बाद एनसीएलटी से अमलगम को मिली थी जमीन
बताते हैं कि कंपनी के हस्तांतरण के उपरांत वर्तमान समय तक कोई भी विस्तारीकरण का कार्य नहीं किया गया है। सन 2018 से एनसीएलटी के द्वारा कंपनी को आधुनिक अलॉयज से लिया गया। इसके बाद यह अमलगम स्टील के जिम्मे आया। इसके बाद अमलगम ने विस्तारीकरण के लिए सरकार एवं वन विभाग के पास आवेदन भी किया है। आवदन के बाद विभाग की टीमें सर्वे करने आई थी, जहां यह बात सामने आई कि निर्धारित कुछ भूमि है जो वन विभाग के अधीन आती है, जिसके लिए कंपनी के द्वारा एक आवेदन वन विभाग को भी किया गया है, ताकि उक्त भूमि पर किया जा रहा विकास कार्य मजदूरों एवं कंपनी प्रबंधन से जुड़े लोगों के विकास में बाधा उत्पन्न न कर सके।
फॉरेस्ट लैंड के अतिक्रमण के दोषी हैं आधुनिक के जीएम और एमडी
अमगलगम का कहना है कि मार्च 2011 और मार्च 2013 में वन विभाग की तरफ से एक मामला दर्ज हुआ था। उस समय कांड्रा में अमलगम का उद्भव भी नहीं हुआ था। मामले में तत्कालीन आधुनिक अलॉयज कंपनी के महाप्रबंधक रविंद्र अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल पर यह मामला दर्ज था। हालंकि, इस पूरे मामले से अमलगम को अनभिज्ञ रखा गया था। सरकारी सर्वे के दौरान चीजें स्पष्ट हुई थीं कि वन विभाग का मामला आधुनिक अलॉयज के तत्कालीन महाप्रबंधक रविंद्र अग्रवाल पर चल रहा है। कहा जा रहा है कि कुछ असमाजिक और जनोपयोगी कार्यों में बाधा पहुंचाने वाले लोगों द्वारा आए दिन क्षेत्र में भूमि को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
सरायकेला-खरसावां के डीएफओ आदित्य नारायण का कहना है कि यह वन भूमि पर अतिक्रमण का मामला है। उन्होंने एक्सपेंशन के लिए अप्लाई किया था। इसके बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि यह वन भूमि पर अतिक्रमण का मामला है। अब इस मामले में सुनवाई चल रही है। वर्ष 2011 में आधुनिक पर रेलवे साइडिंग मामले में केस हुआ था। उनके द्वारा अप्लाई कहीं और के लिए किया गया था और बना कहीं और रहे थे। ग्रामीणों के विरोध के बाद मामले ने तूल पकड़ा।