जमशेदपुर
जमशेदपुर एवं आसपास के आनंदमार्गियो में खुशी का माहौल है। इसका कारण यह है कि उनके आराध्य “बाबा” श्री श्री आनंदमूर्ति की जन्मस्थली बिहार के मुंगेर जिला स्थित जमालपुर का नाम अब “बाबा नगर” कर दिया गया है। यह निर्णय जमालपुर ओलीपुर आनंद मार्ग जागृति में आनंद मार्ग प्रचारक संघ दिल्ली सेक्टर की समीक्षा, समस्या, सामाधान बैठक में लिया गया।
वर्करों को संबोधित करते हुए पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने कहा कि “बाबा” श्री श्री आनंदमूर्ति का जन्म 1921 में वैशाखी पूर्णिमा के दिन इसी बिहार की पवित्र धरती जमालपुर में हुआ था। आज से हम लोग इस पवित्र धरती जमालपुर को “बाबा नगर “के नाम से संबोधित करेंगे।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ दिल्ली क्षेत्र (सेक्टर)- भारत, नेपाल, बंगलादेश, श्रीलंका, भूटान, मालदीव में हो रहे आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा सेवा कार्यों की आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत की उपस्थिति में केन्द्रीय सचिव आचार्य चितस्वरूपानंद अवधूत की अध्यक्षता में केन्द्रीय समिति द्वारा त्रिदिवसीय समीक्षा बैठक चल रही है। आज 23 मार्च को इस समीक्षा बैठक में दिल्ली सेक्टर से सैकड़ों आनंद मार्गी त्यागी, संन्यासी, सन्यासिनी अपने हो रहे सेवा कार्यों का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि श्री श्री आनंदमूर्ति का जन्म 1921 में वैशाखी पूर्णिमा के दिन बिहार के जमालपुर में एक साधारण परिवार में हुआ था। परिवार का दायित्व निभाते हुए वे सामाजिक समस्याओं के कारण का विश्लेषण उनके निदान ढूंढने में एवं लोगों को योग साधना आदि की शिक्षा देने में अपना समय देने लगे। सन 1955 में उन्होंने आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना की। श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने समझा कि जिस जीवन मूल्य भौतिकवाद को वर्तमान मानव अपना रहे हैं उनके शारीरिक व मानसिक और ना ही आत्मिक विकास के लिए उपयुक्त है अतः उन्होंने ऐसे समाज की स्थापना का संकल्प लिया जिसमें हर व्यक्ति को अपने सर्वांगीण विकास करते हुए अपने मूल्य को ऊपर उठाने का सुयोग प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि हर एक मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में विकसित होने का अधिकार है और समाज का कर्तव्य है कि इस अधिकार को ठीक से स्वीकृति दे। वे कहते थे कि कोई भी घृणा योग्य नहीं। किसी को शैतान नहीं कह सकते। मनुष्य जब शैतान या पापी बनता है जब उपयुक्त परिचालन पथ निर्देशन का अभाव होता है वह अपने कूप्रवृत्तियों के कारण बुरा काम कर बैठता है। यदि उनकी कुप्रवृत्तियों को सूप्रवृत्तियों की ओर ले जाया जाए तो वह शैतान नहीं रह जाएगा। हर एक मनुष्य देव शिशु है इस तत्व को मन में रखकर समाज की हर कर्म पद्धति पर विचार करना उचित होगा।