Mohit Kumar
दुमका : दुमका रेलवे स्टेशन शायद देश का पहला यात्री रेलवे स्टेशन है, जहां कोयला का रैक लगता है। पहले से ही दुमका स्टेशन पर स्टोन चिप्स की लोडिंग के साथ ही अनाज और खाद के रैक की अनलोडिंग का दबाव है। विगत कुछ महीनों से कोयला रैक लोडिंग से यहां का प्रदूषण लेवल तो बढ़ ही रहा है, साथ ही कोयला ढुलाई कर रहे हाईवा से हर दिन कोई न कोई घटना हो रही है। कभी साईकिल सवार हादसे का शिकार हो रहे हैं तो कभी मोटरसाइकिल सवार।
दरअसल पाकुड़ जिले के अमडापाड़ा से दुमका रेलवे स्टेशन तक लगभग 70 किलोमीटर की दूरी है और गोपीकांदर काठीकुंड होते हुए प्रतिदिन 300 से ज्यादा हाईवा कोयला लेकर दुमका तक दौड़ लगा रहे हैं। इससे दुमका में हो रहे प्रदूषण को लेकर लगातार विरोध हो रहा है, लेकिन हाईवा अब उससे ज्यादा खरनाक साबित होने लगे हैं।
बीजीआर कंपनी द्वारा हो रही कोयले की ढुलाई वाले हाईवा से दर्जनों लोगों की जान चली गई, कितने लोगों का परिवार उजड़ गया। लगातार हो रहे हादसे से शिकारीपाड़ा विधानसभा के विधायक काफी चिंतित हैं, क्योंकि इनके इलाके की जनता भी हादसे का शिकार हो रही है।
विधायक नलिन सोरेन का कहना है कि यह सड़क आम जनता के लिए बनी है। कंपनी को कोयला ढुलाई करनी है, तो अलग से फोर लेन सड़क बनवा ले या फिर खदान तक रेलवे लाईन बिछा ले। विधायक ने इसकी रोकथाम के लिए जिले के उपायुक्त से भी बात की है।
वहीं दुमका लोक सभा क्षेत्र के सांसद सुनील सोरेन ने कहा कि दुमका में हो रहे प्रदूषण और हादसे को लेकर रेलवे के अधिकारियों से बात हुई है, जल्द ही यह कोयला लोडिंग का काम जामा या मदनपुर स्टेशन पर शिफ्ट हो जाएगा। दुमका का यह सड़क और इस सड़क पर चलने वाला हाईवा इस कदर डरावने हो गए हैं कि लोगों की रूह कांप जाती है। फिलहाल सांसद औऱ विधायक दोनों चिंतित हैं। इसका समाधान क्या निकलता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।