यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड जादूगोड़ा मिल स्थित नए एच बी एफ यूनिट ( आटोमेटिक ग्राइंडिंग एंड मिलिंग मशीन ) का उद्घाटन भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र मुंबई के निदेशक डॉ० अजित कुमार महंती ने शिलापट्ट का अनावरण करके एवं पैनल का बटन दबाकर किया . इस मौके पर उनके साथ यूसिल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक डॉ० चंद्रू कुमार असनानी , तकनिकी निदेशक राजेश कुमार , परमाणु उर्जा विभाग के परियोजना मूल्यांकन समिति के सदस्य पी० पी० मराठे ,एस०एम० बादशाह , इंद्रा गाँधी परमाणु अनुसन्धान केंद्र के निदेशक डॉ० वी वेंकटरमण , यूसिल के महाप्रबंधक संजय कुमार शर्मा उपस्थित थे .
उद्घाटन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए अजित कुमार महंती ने परमाणु उर्जा के बारे बात करते हुए कहा की भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र परमाणु उर्जा के क्षेत्र में काम करती है और और उर्जा का प्रवाह कभी पुराना या नया नहीं होता है यह एक नियमित प्रक्रिया है जो निरंतर चलती रहती है हमारे वैज्ञानिक दिन रात इसके उत्पन्न और उपयोग करने की तकनीक को विकसित करते हैं . यही भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र का काम है . उन्होंने कहा की अभी बड़े परमाणु रिएक्टरों का प्रयोग परमाणु उर्जा के क्षेत्र में किया जा रहा है जो 700 से 1000 मेगावाट तक के हैं . मगर निकट समय में छोटे आकार के मोड्यूलर न्यूकिलर रिएक्टर परमाणु उर्जा के क्षेत्र में क्रांति लायेंगे जो 100 से 200 मेगावाट तक के होंगे और कम जगह लेकर बेहतर परिणाम देने वाले और उपयोग में सुरक्षित होंगे . अभी इसके डिजाईन और निर्माण प्रक्रिया पर शोध चल रहा है लागत और खर्चे को ध्यान में रखकर बहुत जल्द इसका निर्माण कर लिया जायगा . अभी विश्व के किसी भी देश में ये तकनीक नहीं है . श्री महंती ने कहा की हाइड्रोजन उर्जा जिसे हम ग्रीन इनर्जी भी कहते हैं उसके उत्पादन पर भी रिसर्च चल रहा है जल्द ही इसके भी सुखद परिणाम देखने और उपयोग करने को मिलेंगे . मगर इसके निर्माण के लिए भी परमाणु उर्जा का ही सहारा लेना पड़ेगा . क्योंकि थर्मल और कोल आधारित उर्जा से ग्रीन एनर्जी का उत्पादन असंभव है . हाइड्रोजन उर्जा से बड़े -बड़े इंजन भी चलाये जा सकेंगे . उन्होंने कहा की स्वच्छ उर्जा का निरंतर प्रवाह केवल परमाणु उर्जा के माध्यम से ही संभव है . अभी जो शोध चल रहे हैं वो पांच साल बाद तकनीक के रूप में विकसित होकर लोगों के सामने होंगे .
परमाणु उर्जा विभाग के परियोजना मूल्यांकन समिति के सदस्य पी० पी० मराठे ने कहा की आने वाले 8 से 10 वर्षों के अन्दर जो भी छोटे मोड्यूलर परमाणु रिएक्टर आयेंगे उनसे उत्पन्न होने वाला आईसोटोप भारत की चिकित्सीय क्षेत्र की आवश्यकता तो पूर्ण करेगा ही इसके साथ -साथ इन आईसोटोप को हम निर्यात भी कर सकेंगे . और भारत की विदेशों पर कैंसर रेडियोथेरेपी जिसे गंभीर रोगों में उपयोग होने वाले आईसोटोप की निर्भरता ख़त्म हो जायगी .
यूसिल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक चंद्रू कुमार असनानी ने कहा की भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र परमाणु उर्जा विभाग के अंतर्गत चलने वाली मिलों की मदर विंग है . यूसिल के सारे प्रोजेक्ट की डिज़ाइन यही तैयार करती है . ये हमारी जरुरत हो और इसीलिए हमारे लिए महत्वपूर्ण भी है .