Mohit Kumar
दुमका : जहां एक तरफ झारखंड में आपकी सरकार आपके द्वार योजना के जरिए लोगों को सहायता पहुंचाने की दिशा में काम चल रहा है, आदिवासियों के लिए कई योजनाएं हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। मामला है जिले के जरमुंडी का। अपने दोनों पैर दुर्घटना में गंवाने वाले जया हांसदा को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। बता दें कि जया हांसदा रोजी रोटी की तलाश में झारखंड से बाहर हिमाचल प्रदेश गया, लेकिन वहां अगलगी की घटना का शिकार हो गया। इस दुर्घटना में अपने दोनों पैर गंवाकर एक लाचार की जिंदगी जीने को विवश है।
दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बासुकीनाथ नगर के बेरहन गांव निवासी आदिवासी युवक जया हांसदा ने अपनी दर्द भरी दास्तान सुनाते हुए कहा कि बचपन में ही माता-पिता का सिर से साया उठ गया। आस पड़ोस के लोगों के सहयोग से जवानी की दहलीज तक पहुंचा। इशके बाद इधर-उधर काम धंधा कर अपना पेट पालने लगा। उसके पास न तो अपना घर है न राशन कार्ड और न ही सरकार के द्वारा अन्य कोई सुविधा मिल पाई है।
सरकारी लाभ एवं रोजगार से वंचित काम की तलाश में कुछ सहयोगियों के साथ वह हिमाचल प्रदेश चला गया। हिमाचल प्रदेश में काम तो मिल गया लेकिन एक रात अचानक टेंट में आग लग गई और उसका दोनों पैर पूरी तरह झुलस गया। वहां के अस्पताल में इलाज कराया गया, जहां जान तो बच गई लेकिन इस घटना के बाद वह दोनों पैर गंवा बैठा। लगभग 7 महीने हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पताल में रहने के बाद सहयोगियों ने उसके गांव बेरहन पहुंचा दिया। एक तो बेघर साथ ही अन्य कोई पारिवारिक सदस्य नहीं रहने से गांव आने के बाद उसका जीवन और भी दूभर हो गया है। गांव वाले उसकी देखरेख कर रहे हैं और पीड़ित युवक को सरकारी सुविधा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
मामले की जानकारी मिलने पर कुछ समाजसेवी आगे आए और उसे सहायता प्रदान की। जरमुंडी की प्रखंड विकास पदाधिकारी नीलम कुमारी को इस बेसहारा युवक के बारे में जानकारी दी गई तो उन्होंने गांव पहुंचकर तत्काल पीड़ित युवक को एक सरकारी कंबल प्रदान किया तथा अन्य सरकारी सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। अब देखना यह है कि सरकारी सहायता उसके पास कब तक पहुंचती है।