मैंने पहले ही हेमंत सोरेन को सूचित किया था कि आपके स्वास्थ्य मंत्री राज्य के स्वास्थ्य को खराब कर रहे हैं। चेतें, अन्यथा भुगतना होगा। आज वही देखने को मिल रहा है। पार्ट 2 सरकार भी वही गलती दोहरा रही है, जो भ्रष्टाचार में लिप्त विधायकों को मंत्री पद सौंप रहे हैं। इतना ही नहीं किसी प्रकार का बहुत ज्यादा बहस न हो इसलिए पार्ट टू सरकार की बजट सत्र की सबसे कम कार्यसीमा है। मात्र 7 दिन के बजट सत्र में बजट पेश करना है, जबकि चार दिन अलग-अलग खंड कार्य में चला जाएगा। मात्र तीन दिन में किसी प्रकार का बजट से संबंधित बहस नहीं हो पाएगी ऐसे में इस तरह का बजट सत्र बुलाना पार्ट 2 सरकार के लिए न्यायोचित नहीं है।
झारखंड सरकार राज्य की वित्त व्यवस्था पर एक श्वेत-पत्र जारी करे। हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने तो उसके पूर्व की सरकार की वित्तीय स्थिति के बारे में उन्होंने एक श्वेत-पत्र जारी किया था। राज्य सरकार के मुख्यमंत्री के नाते चंपई सोरन को भी एक श्वेत-पत्र जारी कर वित्तीय स्थिति पर प्रकाश डालना चाहिए। उक्त बातें जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय ने कही।
उनहोंने कहा कि चंपई सोरेन की पार्ट -2 सरकार की आगामी 23 फरवरी से शुरू होने वाला बजट सत्र अप्रत्याशित रूप से छोटा है। वर्ष 2020 में बजट सत्र में 18 कार्य दिवस, 2021 में 16 कार्य दिवस, 2022 में 17 कार्य दिवस और 2023 में भी 17 कार्य दिवस बजट सत्र में थे, परंतु 2024 के बजट सत्र मात्र 7 दिनों का है। इसमें से एक दिन शोक प्रस्ताव में एक दिन बजट प्रस्तुत करने के रूप में समाप्त हो जाएगा। एक दिन विधायकों के निजी संकल्प पर चर्चा होगी और एक दिन वर्तमान वित्तीय वर्ष के तृतीय अनुपूरक बजट पर चर्चा होगी। इस तरह कुल मिलाकर बजट पर चर्चा के लिए मात्र 3 कार्य दिवस बचेंगे, यानि अधिकांश विभागों की बजट मांगों को गिलोटिन कर दिया जाएगा। यदि सरकार बजट के लिए तैयार नहीं थी तो उसे 3 महीने का लेखा अनुदान विधानसभा से ले लेना चाहिए था और पूरा बजट जून महीना में पास करना चाहिए था।
श्री राय ने कहा कि अल्पाल्प अवधि का बजट सत्र बुलाने का एक बड़ा कारण यही हो सकता है कि अभी तक सरकार ने पुराने बजट की योजनाओं पर मुश्किल से 55-60 प्रतिशत खर्च कर सकी है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र एक माह शेष है, शेष राशि खर्च करने के लिए पार्ट-2 सरकार के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। इसलिए बजट सत्र छोटा कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आगामी बजट सत्र में वे अपने उन सभी सवालों का जवाब मांगेंगे, जो वर्तमान सरकार के पार्ट-1 सरकार तथा उसके पहले वाले सरकार में उठाया था।
सरयू राय ने कहा कि बजट सत्र छोटा करने का एक कारण यह भी हो सकता है कि सरकार मंत्री परिषद के विस्तार के बाद अस्थिर है। बजट सत्र के प्रत्येक दिन बजट की वित्तीय मांगों पर मतदान होता है। वित्तीय मामलों के मतदान में सरकार जरूरी संख्या नहीं जुटा पाएगी तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है। इससे बचने के लिए सरकार ने बजट सत्र छोटा किया होगा। इस सरकार को विगत 4 वर्षों का लेखा-जोखा सदन में प्रस्तुत करना चाहिए। इसके पूर्व के विधानसभा सत्रों में सरकार के कतिपय विभागों के भ्रष्टाचार के बारे में जो सवाल उन्होंने उठाया था और जिसके बारे में विधानसभा अध्यक्ष ने जांच का निर्देश दिया था वे सभी के सभी सवाल अनुत्तरित हैं। वे उनका जवाब सरकार से मांगेंगे। श्री राय ने कहा कि झारखंड की पंचम विधानसभा का यह अंतिम बजट सत्र है। इसके वित्तीय स्थिति का खुलासा मुख्यमंत्री को करना चाहिए।