जमशेदपुरः आदिवासी संगठन भारत जकात मांझी परगना महाल झारखंड कमेटी ने अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर डीसी ऑफिस के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से 14 मांगें की गई हैं। इनमें सबसे प्रमुख झारखंड में पांचवी अनुसूची के नियम को सख्ती से लागू करने की मांग है। इस नियम के तहत बिना ग्राम सभा की अनुमति के प्रशासन और सरकार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में कोई भी कानून लागू नहीं कर सकती। कहा गया है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के तहत घोषित पेशा क्षेत्र में ग्राम सभा की बैठकों की अध्यक्षता गलत तरीके से ग्राम प्रधान कर रहे हैं। ज्ञापन के माध्यम से इन बैठकों की अध्यक्षता मानकी, मुंडा, माझी, परगना बाबा आदि से कराने की मांग की गई। इसके साथ ही गिरिडीह जिला के पारसनाथ पहाड़ में संथाल समाज के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक धरोहर मरांग बुरू को जैन के कब्जे से मुक्त कराने की मांग भी शामिल है।
इसके साथ ही उन्होंने संताली भाषा को झारखंड में प्रथम राजभाषा की मान्यता देने, झारखंड में प्राइमरी स्कूल से यूनिवर्सिटी तक में संताली शिक्षकों की बहाली करने, सरना कोर्ड को मान्यता देने, जल जंगल जमीन के अधिकार माझी और परगना बाबा को सौंपने की मांग की गई। मांगों के अविलंब पूरा न करने की स्थित में परगना महाल ने पूरे राज्य में सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दी है।