चाईबासा: अब आशा स्वास्थ्य कर्मी सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी अपने कार्यों के निष्पादन के लिए आसानी से आ जा सकेंगी। इसके लिए उन्हें ई स्कूटर प्रदान किया जा रहा है। सरायकेला खरसावां जिले में पहले चरण के बाद, मानसी से जुड़ी सहियाओं (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता या आशा कार्यकर्ता) के बीच ई-स्कूटर वितरित किया गया, ताकि दुर्गम इलाकों में आवागमन के मुद्दे का समाधान किया जा सके। इस कार्यक्रम का आयोजन पश्चिमी सिंहभूम जिला के चाईबासा पुलिस ग्राउंड में हुआ, जहां गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को त्वरित सहायता प्रदान करने से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए 234 ई-स्कूटर वितरित किए गए।
13 मार्च, 2022 को सरायकेला खरसावां में सहियाओं के लिए कुल 181 ई-स्कूटर वितरित किए गए, जबकि अन्य 150 स्कूटर का वितरण आगामी 27 मार्च 2022 को पूर्वी सिंहभूम में किया जाएगा।
इस अवसर पर झारखंड की महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्री श्रीमती जोबा मांझी, मंझगांव के विधायक निराल पूर्ति उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उपायुक्त अनन्या मित्तल, सहायक कलेक्टर रवि जैन, सिविल सर्जन डॉ. बुका उरांव, टाटा स्टील के चीफ, कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सौरव रॉय, एचएसबीसी के उपाध्यक्ष आदिल घडियाली भी उपस्थित थे।
टाटा स्टील के चीफ, कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी सौरव रॉय ने कहा कि हम सहिया साथियों, एएनएम और राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सस्टेनेबल प्रभाव को बढ़ाने के लिए नवीनतम सार्वजनिक स्वास्थ्य समाधानों को लागू किया जा सके। इलेक्ट्रिक स्कूटर सार्वजनिक स्वास्थ्य समाधानों के सह-निर्माण की दिशा में एक अग्रणी कदम है, जिसके प्रति टाटा स्टील फाउंडेशन प्रतिबद्ध है। हम जिले में मानसी के माध्यम से 34,800 से अधिक गर्भवती महिलाओं और माताओं तक पहुंच बना चुके हैं और अब वितरित किये जा रहे ई-स्कूटर्स, पहुंच का दायरा और अधिक से अधिक बढ़ाने तथा और तेजी से चिकित्सा सहायता प्रदान करना सुनिश्चित करेंगे। इस पहल के लिए उन्होंने जिला प्रशासन और एचएसबीसी का आभार जताया।
टाटा स्टील फाउंडेशन ने सरायकेला खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम के इन तीन स्थानों पर वितरित करने के लिए 565 ई-स्कूटर उपलब्ध कराने के लिए बैंकिंग क्षेत्र की दिग्गज एचएसबीसी के साथ सहयोग किया है। सहिया साथी फाउंडेशन के मानसी कार्यक्रम का एक हिस्सा हैं जो एक समुदाय-केंद्रित सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप है जो घरेलू स्तर पर माताओं और नवजात बच्चों के लिए गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य देखभाल का लाभ उठाने में ग्रामीण भारत की चुनौतियों का समाधान करता है।
वितरण से पहले, सहियाओं की सुरक्षा और ड्राइविंग कौशल सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन और संचालन किया गया था। संबंधित क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता की कमी को देखते हुए एक समाधान पूर्ण पहल के रूप में ई-स्कूटर को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह पूरी तरह से चार्ज होने में ढाई घंटे के लिए केवल 15 एम्पियर बिजली लेता है। खास बात ये है कि इसके लिए उन्हें किसी ड्राइविंग लाइसेंस की भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि, एक मोटर वाहन के रूप में मानक शक्ति और गति सीमा के मुकाबले इसकी सीमा कम होती है।
गौरतलब है कि सहियाओं ने कोविड -19 के समय में मातृत्व और नवजात स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में सबसे मौलिक भूमिका निभाई है, जब परिवहन लगभग रुका हुआ था। वे झारखंड में नवजात शिशुओं की मृत्यु को कम करने और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में निस्वार्थ भाव से मानसी का चेहरा रहे हैं।