- उपायुक्त के व्यक्तिगत आग्रह पर आकाश इंस्टिच्यूट ने प्रसेनजीत के 1.75 लाख रूपए ट्यूशन फीस किया माफ
- टाटा स्टील फाउंडेशन ने प्रसेनजीत के लिए किताब तथा स्टेशनरी, रहने-खाने के लिए प्रतिमाह 6 हजार रूपए देने की जताई सहमति
जमशेदपुरः जिला उपायुक्त श्रीमती विजया जाधव की पहल पर चाकुलिया के बांकशोल गांव का रहने वाला प्रसेनजीत सबर अब मेडिकल परीक्षा ‘नीट’ की तैयारी कर चिकित्सक बनने का सपना पूरा कर सकेगा। प्रसेनजीत सबर ने जिला उपायुक्त के साप्ताहिक जनता दरबार में उनसे मुलाकात कर अपने खराब आर्थिक स्थिति के कारण आगे नि:शुल्क मेडिकल की कोचिंग की इच्छा जताई थी। मुलाकात के दौरान प्रसेनजीत ने डीसी को बताया कि उसने 12वीं विज्ञान संकाय से पास किया है तथा आगे मेडिकल की पढ़ाई करना चाहता है। उपायुक्त ने प्रसेनजीत से बातचीत के दौरान उसकी लगन, डॉक्टर बनकर समाज के लिए कुछ करने की चाहत, अपने समुदाय के प्रति स्नेह को देखते हुए विशेष समय देकर कार्यालय में मिलने बुलाया था, जहां बातचीत में उसके समुदाय की स्थिति के बारे में भी पता चला। इसके बाद उपायुक्त द्वारा व्यक्तिगत रूप से आकाश इंस्टिच्यूट को पत्र लिखकर उसके नि:शुल्क कोचिंग हेतु आग्रह किया गया, जिसे साकची स्थित आकाश इंस्टिच्यूट प्रबंधन ने स्वीकार करते हुए 1.75 लाख रूपए का ट्शयून फीस माफ कर दिया।
इतना ही नहीं उपायुक्त द्वारा टाटा स्टील फाउंडेशन से भी प्रसेनजीत के रहने की व्यवस्था करने के विषय में आग्रह किया गया, जिसका टाटा स्टील लैंड डिपार्टमेंट के हेड अमित कुमार ने तत्काल संज्ञान लेते हुए प्रसेनजीत से मुलाकात कर उसके रहने की व्यवस्था कराई। टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा प्रसेनजीत के लिए प्रतिमाह 6 हजार रूपए उनके रहने-खाने एवं किताब, स्टेशनरी के लिए देने की सहमति जताई गई है, जो उसके बैंक खाते में जाएगा। इसके लिए उपायुक्त ने साकती आकाश इंस्टिच्यूट तथा टाटा स्टील फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया है।
जिला उपायुक्त ने प्रसेनजीत के नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था हो जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि प्रसेनजीत एक गरीब एवं मेधावी छात्र है तथा आदिम जनजाति (सबर) से संबंध रखते हैं। पूरे जिले में लगभग पांच हजार मात्र परिवार ही सबर आदिम जनजाति के रहते हैं। आदिम जनजाति के लोग सुदुरवर्ती जंगल में निवास करते हैं एवं समाज के मुख्य धारा से दूर हैं। यह समूह Vulnerable Tribal Group से संबंध रखता है। जीवन यापन के साधारण संसाधनों तक भी इनकी पहुंच नहीं हैं। दुर्गम क्षेत्र में रहने के कारण इस जनजाति के एक-दो बच्चे ही अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर पाते हैं। ऐसे में समाज के सबसे अभिवंचित समूह के उत्थान में सामाजिक दायित्व को देखते हुए यह पहल की गई थी। उन्होने कहा कि कोचिंग संस्थान द्वारा निःशुल्क नामांकन एवं फीस माफ कर देने की पहल समाज के सबसे अभिवंचित समूह को आगे बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित होगा। सभी के सामूहिक सहयोग से आदिम जनजाति का एक छात्र यदि अपने डॉक्टर बनने के सपने को पूरा कर पायेगा तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक मिसाल होगी। जिला प्रशासन ने प्रसेनजीत सबर के उज्जवल भविष्य की कामना की है।
टाटा स्टील के लैंड डिपार्टमेंट के हेड अमित कुमार ने बताया कि प्रसेनजीत की पढ़ने की इच्छा का सम्मान करते हुए टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा प्रतिमाह किताब एवं अन्य स्टेशनरी सामान के लिए 2000 तथा रहने-खाने के लिए 4000 उनके बैंक खाते में दिया जाएगा। उन्होने बताया कि प्रसेनजीत शहर में स्थित गोल्डन आइरिस में वेटर का काम करते थे, उनकी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं पहुंचे तथा बिना किसी विघ्न के वे पढ़ाई जारी रख सकें इसके लिए उनके आवासन एवं अन्य सुविधाओं की जिम्मेदारी टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा ली गई है ताकि वे अपना विशेष ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर रख सकें और उन्हें नौकरी करने की आवश्यकता न पड़े।