एक वर्ष में दो बार मनाए जाने वाले छठ को लेकर नदी घाटों में श्रद्धालुओं की खासा भीड़ देखने को मिली। बता दें कि नवंबर माह में मनाए जाने वाले छठ को कार्तिक छठ कहा जाता है जबकि रामनवमी के नवरात्रि में मनाए जाने वाले छठ को चैती छठ कहा जाता है। व्रत धारियों के अनुसार चैती छठ कार्तिक छठ से ज्यादा कठिन होता है। कारण यह है कि कार्तिक छठ के समय मौसम ठंडा रहता है, जबकि चैती छठ में गर्मी ज्यादा रहती है। ऐसे में तीन दिनों तक निर्जला व्रत रखने वालों के लिए यह तपस्या से कम नहीं होती है।
इसके बावजूद छठी मईया की कृपा ही है की तीन दिन व्रतधारी को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। रविवार को सांध्य अर्घ्य को लेकर शहर के विभिन्न नदी घाटों सहित मानगो के स्वर्णरेखा नदी घाट पर व्रत धारियों के साथ श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली।
दोपहर बाद से ही व्रत धारियों का रुख नदी घाटों की ओर होने लगा। इस दौरान कुछ व्रत धारी दंडवत करते हुए घाट तक पहुंचे, जहां डूबते सूर्य को अग्घ्य देकर पति और बच्चों की खुशहाली की कामना की। वहीं प्रशासन की ओर से सुरक्षा को लेकर पुलिस कर्मियों की भी तैनाती की गई थी, तकि बिना व्यवधान के पूजा संपन्न हो सके। सोमवार को उगते भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही चैती छठ संपन्न हो जायेगी।